ऋषिकेश। संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित सत्संग के अवसर पर मुंबई महाराष्ट्र से आये महात्मा मोहन गुंडू ने अभिमान को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु बताया। कहा कि अभिमान उस आग जैसा है जिसमें सबकुछ नष्ट हो जाता है। अभिमान को समाप्त करने के लिए परमात्मा के मूल स्वरूप को जानना जरूरी है।
गंगानगर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में महात्मा मोहन गुंडू ने कहा कि विचारों को सुनने मात्र से जीव का कल्याण संभव नहीं, बल्कि उन्हें आत्मसात भी किया जाना चाहिए। सत्संग इसका सरल रास्ता है। सत्संग से ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को समाप्त करने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि सत्संग हमारी आत्मा को भी स्वच्छ करता है। बाहरी सफाई से हमें क्षणिक सुख मात्र मिलता है। आत्मा की स्वच्छता के बाद ही हम परमात्मा की भक्ति का सुख उठा सकते हैं। युगों से संतों ने यही संदेश हमें दिए हैं। कहा कि भक्त का जीवन सरल और बोल व कर्म एक समान होने चाहिए। तभी हम कण-कण में समाहित परमात्मा का अहसास कर सकते हैं।
समापन से पूर्व अनुयायियों ने प्रवचनों और गीतों के माध्यम से अपने संदेश दिए। सत्संग में ऋषिकेश, विस्थापित, ढालवाला, चौदहबीघा, श्यामपुर, गुमानीवाला, शीशमझाड़ी, भोगपुर आदि से सैकड़ों अनुयायियों ने प्रतिभाग किया।