रायवाला (चित्रवीर क्षेत्री की रिपोर्ट)। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के ईको सेंसटिव जोन में रेल परियोजना के निर्माण कार्य के लिए रिवर ड्रेजिंग की अनुमति मिलने के बाद तहसील और खनन विभाग की टीम मौके पर खनन क्षेत्र के निर्धारण के लिए पहुंची। लेकिन टीम को साहबनगर के ग्रामीणों के विरोध और पार्क प्रशासन के आपत्ति के बाद बैरंग लौटना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक रेल विकास निगम की अनुबंधित दिल्ली की फर्म मैक्स एसईएस (जेसी) को परियोजना निर्माण कार्यों में खनिज आपूर्ति के लिए उप खनिज (आरबीएम) की निकासी की अनुमति जारी की गई है। इसके लिए प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून, सिंचाई विभाग, भूवैज्ञानिक व जिला खनन अधिकारी को खनिज स्थल, खनिज की मात्रा और रायल्टी के निर्धारण कि जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
बताया गया है कि खनन अथवा ड्रेजिंग के लिए जिस स्थान का चयन किया गया है, वह राजाजी पार्क के ईको सेंसेटिव जोन में आता है। यह भी जानकारी मिली कि खनन क्षेत्र के निर्धारण के लिए मौके पर पहुंची टीम द्वारा संबंधित जानकारी जिला प्रशासन को नहीं दी गई।
मोतीचूर के रेंजर महेंद्र गिरि गोस्वामी ने बताया कि सौंग नदी में निशानदेही को पहुंची टीम के पास अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं था। वहीं नदी क्षेत्र की वजह से सीमाएं भी स्पष्ट नहीं हैं, लिहाजा संयुक्त सर्वे जरूरी है। बताया कि उक्त क्षेत्र ईको सेंसेटिव जोन में है, नियमानुसार यहां रिवर ड्रेजिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती। फिलहाल काम बंद करवा दिया गया है।
तहसीलदार डा. अमृता शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड रिवर ड्रेजिंग नीति के तहत राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं के लिए उपखनिज की आपूर्ति को ड्रेजिंग कार्य की अनुमति देने का प्रावधान है। नीति के अनुरूप ही आरबीएम उपखनिज चुगान की अनुमति दी गयी है।
ग्रामीणों ने जताया भारी विरोध
साहबनगर स्थित सौंग नदी में खनन की सूचना मिलने के बाद ग्रामीण मौके पर जुटकर संबंधित टीम का विरोध किया। जिसके चलते निशानदेही के लिए पहुंची टीम को वापस लौटना पड़ा। ग्राम प्रधान ध्यान सिंह असवाल का कहना है कि पार्क क्षेत्र बताकर एक तरफ बाढ़ सुरक्षा कार्य में अड़चन पैदा की जाती है। दूसरी तरफ जिला प्रशासन खनन कराने पर उतारू है। कहा कि रिवर ड्रेजिंग से नदी का रुख गांव की तरफ हो जाएगा। जिसके चलते बरसात के दिनों में बाढ़ का खतरा और बढ़ने की आशंका है। बताया कि ग्राम पंचायत को भी इसकी कोई सूचना नहीं दी गई।