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सियासत : ‘ढेंचू-ढेंचू’ के ‘ढेंचा-ढेंचा’ होने के पीछे कौन ?

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र और मंत्री हरक को विवादित बयानों के लिए किसने किया मजबूर ?

• धनेश कोठारी
भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच का घमासान दो दिनों से मीडिया की सुर्खियों में है। हरक सिंह ने ‘ढेंचा प्रकरण’ छेड़ा तो त्रिवेंद्र सिंह ने कथित तौर पर उनके लिए ‘गधा’ शब्द का इस्तेमाल कर डाला। मामला अनुशासनात्मक होने चलते पार्टी फोरम पर पहुंच गया है। नतीजा क्या निकलेगा, इसपर कयासबाजी से आगे शायद नहीं जा सकते। लेकिन असल ये कि इन दोनों दिग्गजों के बीच आग में घी डालने की भूमिका का आखिर किसकी हो सकती है। जिक्र इसका भी जरूरी है।

थोड़ा पीछे के वक्फे में जाएं तो मीडिया के कई मंचों पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 2016 में भाजपा में शामिल कांग्रेस के बागी विधायकों को ‘उज्याड़ू बल्द’ की संज्ञा दी, जिसका उपयोग वे आज भी हर मौके-बेमौके पर कर ही रहे हैं। इसी जिक्र ए हाल में हरदा त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम पद से हटने के बाद अक्सर यह कहते भी सुनाई दिए कि ‘उज्याड़ू बल्दों’ पर त्रिवेंद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में नकेल डालकर रखी, जिसके चलते ही उन्हें सीएम पद से रुखसत होना पड़ा। यह भी कि इन ‘उज्याड़ू बल्दों’ के कारण भाजपा को अभी खून के आंसू रोने पड़ेंगे आदि आदि।

शायद बार-बार हरदा के इस रिपीटेशन ने हरक सिंह रावत को भड़का डाला। वह हरदा पर पलटवार के जोश में ऐसा कह गए जो त्रिवेंद्र िंसह रावत को चुभ गया। हरक सिंह ने ‘ढेंचा बीज प्रकरण’ को फिर से हाईलाइट कर एक इंटरव्यू में कहा कि हरीश रावत ढेंचा प्रकरण में त्रिवेंद्र सिंह रावत को जेल भेजना चाहते थे, उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह को जेल जाने से बचाया।

राजनेताओं के विवादित बयान और वीडियो वायरल हुए तो मीडिया को भी मसाला मिल गया। नतीजा, एक दिन पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का संकेतों में ‘गधा ढेंचा ढेंचा करता है’ वाला बयान सुर्खियों में आ गया। मामले ने तूल पकड़ा, भाजपा को अपनी छवि बिगड़ती दिखी तो हरक सिंह को पार्टी दफ्तर में तलब कर डाला। हालांकि हरक सिंह के अनुसार वहां 2022 के चुनाव को लेकर ही बातचीत हुई। मीडिया से यह भी कह गए उन्होंने जो ‘बात’ कही वह सही है।

इस प्रकरण पर सियासी जानकारों राय में हरदा अपने ‘राजनीतिक चातुर्य’ से भाजपा के भीतर ‘भूकंप’ लाने में कामयाब हो गए। इस सियासी भूकंप का असर क्या होगा, कितना रहेगा, आने वाला वक्त ही बताएगा। मगर, यह तय है कि 2022 की दुंदभि बजने और उसके बाद तक ऐसे रंग उड़ते भी रहेंगे और जमते भी रहेंगे।

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