उत्तराखंडसियासत

अपने ही बयानों से घिरे ‘हरदा’, बात साफ करने की कोशिश

Uttarrakhaand Assembly Recruitment Case: उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती को लेकर आए अपने ही बयानों से घिरने पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने अब फिर अपने मंतव्य को साफ करने की कोशिश की है। कहा वह किसी का बचाव नहीं कर रहे हैं, जिन नियुक्तियों में नैतिक बल नहीं है वह गलत हैं।


बकौल हरीश रावत, कुछ समाचार-पत्रों ने लिखा है कि मैं कुंजवाल का बचाव कर रहा हूं। मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा हूं। मैंने बहुत ही स्पष्ट तौर पर कहा है कि जिस नियुक्ति में नैतिक बल नहीं है, वह गलत हैं। उसके विषय में माननीय स्पीकर और मुख्यमंत्री को एक पॉलिसी तय करनी चाहिए। मैंने उसमें यह सुझाव भी दिया है कि यदि नेता प्रतिपक्ष को भी सम्मिलित करना चाहें तो कर लें।


विधानसभा के विवेक के ऊपर और मैं समझता हूं शब्द नैतिक बल, नियुक्तियों में यह बहुत प्रभावी है। जो नियुक्तियां माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अंदर आ चुकी हैं, उस पर मैं इससे बड़ी और कोई टिप्पणी नहीं कर सकता था। मैं इतना शक्तिशाली नहीं हूं कि माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के निर्णय पर, वह भी मुख्य न्यायाधीशों के निर्णय पर टिप्पणी करूं।

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