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तुंगनाथ के 30 अक्टूबर, मद्महेश्वर के 22 नवंबर को बंद होंगे कपाट

उखीमठ और मक्कूमठ में तय हुई मंदिरों के कपाट बंदी की तिथियां

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड में हिमालयी तीर्थस्थलों को शीतकाल में बंद रखा जाता है। इसी के तहत मंदिरों के कपाट बंद होने की तिथियां ज्योतिष गणना के उपरांत तय की जाती हैं। परंपरा अनुसार इसवर्ष तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट 30 अक्टूबर को दोपहर एक बजे बंद किए जाएंगे। जबकि द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट सोमवार 22 नवंबर को प्रातः साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद होंगे। मद्महेश्वर मेला 25 नवंबर को आयोजित किया जाएगा।

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि उखीमठ स्थिति ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पुजारी-आचार्यगणों और पंचगाई हक-हकूकधारियों समेत देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों- कर्मचारियों की उपस्थिति में विधि-विधान पूर्वक पंचाग गणना के पश्चात कपाट बंद होने की तिथि तय की गई। वहीं, तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में तय हुई।

कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर की चलविग्रह डोली 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी, 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। 25 नवंबर को डोली ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी। 25 नवंबर को मद्महेश्वर मेला आयोजित किया जाएगा।

उधर, तुंगनाथ भगवान की चलविग्रह डोली 30 अक्टूबर को चोपता, 31 अक्टूबर को भनकुंड और 1 नवंबर को गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर में विराजमान होंगी। इसी के साथ गद्दीस्थलों में शीतकालीन पूजा शुरू हो जाएगी।

विजय दशमी पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में वेदपाठी यशोधर मैठाणी, पुजारी शिवशंकर लिंग, पुजारी गंगाधर लिंग, सहायक अभियंता गिरीश देवली, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट, सत्यप्रसाद सेमवाल, एलपी भट्ट, मनोज शुक्ला, अनूप पुष्पवान, प्रेम सिंह रावत, दीपक पंवार आदि मौजूद रहे। वहीं, तुंगनाथ की मुहूर्त निर्धारण के कार्यक्रम में मठापति राम प्रसाद मैठाणी, भूपेंद्र प्रसाद मैठाणी, प्रबंधक बलबीर नेगी आदि मौजूद रहे।

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