वो पहले ‘पंचायत मंत्री’ था, ‘तांत्रिक’ बन अब हुआ ‘खूंखार’
यमकेश्वर ब्लॉक के ताल बांदनी क्षेत्र का वाकया, खौफजदा ग्रामीणों की उसे क्षेत्र से हटाने की मांग

ऋषिकेश। एक युवक अपने उसी कार्यक्षेत्र में दहशत का पर्याय बन गया है, जहां उसने करीब चार साल पंचायत मंत्री की नौकरी की। सन्यास धारण करने के बाद उसका और स्थानीय लोगों का तालमेल बना रहा। लेकिन दिवाली के बाद से उसका न सिर्फ व्यवहार बदल गया, बल्कि वह खूंखार हरकतें भी करने लगा। जिससे स्थानीय लोग खासकर अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने उसे अब इस क्षेत्र से हटाने की मांग प्रशासन से की है।
यह कहानी है महाकाल गिरी उर्फ भूपेंद्र सिंह बिष्ट की। भूपेंद्र 2012-13 में यमकेश्वर विकासखंड में बतौर पंचायत मंत्री कार्यरत रहा। चार साल नौकरी के बाद अचानक ही उसने अपना पिंडदान कर सन्यास धारण कर लिया। जिसके बाद उसने यमकेश्वर क्षेत्र को ही अपनी साधना के लिए चुना। इसके लिए वह क्षेत्र के कई गांवों में गया, लेकिन वहां के ग्रामीणों ने उसे पनाह नहीं दी। इसके बाद वह ताल बांदनी क्षेत्र में सैजादा गांव पहुंचा। जहां वह कुछ ग्रामीणों की सहमति पर रहने लगा।
ग्रामीणों से अच्छे व्यवहार के चलते उसने यहां एक मंदिर बनाने की सहमति हासिल की। जिसके बाद उसके पास दूर-दूर से लोग आने लगे। सब कुछ अच्छा चल रहा था कि इसी वर्ष दिवाली के बाद से भूपेंद्र के व्यवहार में परिवर्तन आ गया। ग्रामीणों की मानें तो इसबीच उसने अपने एक भक्त के सिर पर चिमटे से वार कर उसका खून पिया। इस घटना ने ग्रामीणों को खौफजदा कर दिया।
ग्रामीण यह भी बताते हैं कि एक दिन एक युवक के अंतिम संस्कार में पहुंचकर उसने वहां मौजूद लोगों से युवक के शव को जलाने पर आपत्ति की। खुद को अघोरी बताकर शव उसे दिया जाना चाहिए था, की बात कही। इस वाकये ने भी ग्रामीणों के डर को और बढ़ा दिया। ग्रामीण बताते हैं कि कुछ दिन से यह बाबा कई लोगों के घरों पर जाकर अभद्रता कर चुका है। लोगों को धमकाने और डराने लगा है।
इसके बाद ग्रामीणों ने राजस्व प्रशासन से मामले की शिकायत की। जिस पर राजस्व निरीक्षक, कांडाखाल वैभव प्रताप सिंह ने मौके पर पहुंच जानकारियां हासिल की, और इस बाबा का शांतिभंग में चालान काट दिया। हालांकि फिलहाल बाबा मौके से गायब बताया जा रहा है। राजस्व निरीक्षक ने बताया कि जांच के बाद संबंधित के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
उधर, ग्रामीण अब अपनी और बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर बाबा को क्षेत्र में रखे जाने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने प्रशासन से उसे यहां से हटाने की मांग की है। वहीं, बताया जा रहा है कि जिस जमीन पर मंदिर बना है, वह भी अवैध रूप से कब्जाई हुई है। राजस्व निरीक्षक ने इस पहलु की जांच की बात भी कही है।