
Uttarakhand Conagress: आखिरकार उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को अलग ही लीक पर चलना भारी पड़ गया। पार्टी ने फिलहाल उन्हें सभी पदों से मुक्त कर दिया है। ऐन चुनाव के वक्त पार्टी के वरिष्ठ नेता पर ऐसी कार्रवाई के बाद सियासत में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि अब किशोर का अगला कदम क्या होगा।
बता दें कि लंबे समय से किशोर उपाध्याय सामाजिक मुद्दों पर पार्टी से इतर आंदोलन चलाते रहे हैं। वहीं, पार्टी के भीतर भी उनके और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच द्वंद चलता रहा है। किशोर ने 2017 के चुनाव में अपनी हार के लिए हरदा को जिम्मेदार तक ठहराया था। जिसका हरदा ने भी जवाब दिया।
बात यहीं नहीं रुकी, इसके बाद भी किशोर के कांग्रेस को छोड़ने और भाजपा को ज्वाइन करने की अटकलें लगती रही। हालांकि हरबार किशोर उपाध्याय ने सभी अफवाहों को सिरे से खारिज कर कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा जताई। मगर, हाल में उनके द्वारा भाजपा संगठन स्तर के नेताओं से मिलना, कांग्रेस को नागवार गुजरा। खासकर ऐसे वक्त जब चुनाव में कांग्रेस खुद को विनर मानकर चल रही हो।
कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव की किशोर उपाध्याय को लिखी चिट्ठी में भी इसबात की तरफ इशारा करते हुए उन्हें पार्टी के तमाम पदों से हटाने की बात भी कही गई है। उपाध्याय को संबोधित पत्र में लिखा गया है कि उत्तराखंड के लोग भ्रष्ट भाजपा सरकार से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं। लोगों में व्यापक रोष है। भाजपा नेतृत्व में कुशासन और भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
ऐसे में प्रत्येक कांग्रेस कार्यकर्ता का दायित्व है कि हम चुनौती को स्वीकार करें। लेकिन दुख की बात है कि आप भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के साथ एक दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाते रहे हैं। हमारी इस लड़ाई को कमजोर करने में लगे हुए हैं। व्यक्तिगत चेतावनी के बावजूद, पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए आपका आचरण रुक नहीं रहा। लिहाजा आपको पार्टी के सभी पदों से हटा दिया जाता है। आगे की कार्रवाई लंबित है।
सो, कार्रवाई वाले इस पत्र के बाद किशोर उपाध्याय के अगले कदम को लेकर चर्चाएं चल निकली हैं। सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी पदों से हटाने के बाद क्या उन्हें टिकट देगी? क्या किशोर अब ‘फ्री’ हैं? क्या भाजपा नेताओं से मिलना-जुलना उनकी करीबी को और बढ़ा सकता है? या फिर वे एक निष्ठावान सिपाही की तरह कांग्रेस के साथ जुड़े रहेंगे??