Uttarakhand Politics: उत्तराखंड में कांग्रेस (Congress) की नई लीडरशिप की तैनाती के दिन से पार्टी के भीतर की रार को मीडिया में खूब हवा मिली। हयां तक कि आज सुबह से भी कांग्रेस के एक कदावर नेता के भाजपा (BJP) में शामिल होने को लेकर खबरें खूब सुर्खियां बटोरती रही। दोपहर बाद इन ‘कयासों’ को प्रीतम सिंह (Pritam Singh) के एक लाइन के बयान से ध्वस्त कर डाला।
दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अनपेक्षित हार ने पार्टी में खलबली मचा दी। पहले जिम्मेदार तलाशे गए। फिर पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट्स के आधार पर हाईकमान ने प्रदेश का नेतृत्व ही बदल डाला। जिसने आग में घी का और भी काम किया। क्षेत्रीय संतुलन के नाम पर कई जनपदों में कार्यकर्ताओं के सामुहिक इस्तीफे भी सुर्खियों में आ गए।
मामला वरिष्ठ नेताओं के आपसी मेल-मिलाप से कुछ थमता दिखा, तो आज इसे फिर से हवा मिलने लगी। इसकी एक वजह नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के पदभार ग्रहण कार्यक्रमों में कई विधायकों की गैर मौजूदगी बनी। हालांकि उनके गैरहाजिरी के कारण भी मीडिया में साझा किए, लेकिन कांग्र्रेस के जहाज में छेद भी खोजे जाते रहे। आज एक कांग्रेस लीडर के बीजेपी में शामिल होने की कयासबाजी भी इसी की देन लगती है।
आज की सुर्खियों में मीडिया ने तमाम कारणों को अपनी रिपोर्ट्स में शामिल किया। जिनमें नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर नाराजगी, पुत्र के राजनीतिक भविष्य के दबाव, क्षेत्रीय असंतुलन आदि शामिल रहे। यहां तक बताया गया कि अमुख नेता की भाजपा हाईकमान से लगभग डील पक्की हो गई है। जिसकी भूमिका में विधायकी छोड़ने पर पुत्र को विधानसभा और पिता को लोकसभा का टिकट देने तक बात की गई।
खैर, दोहपर होते-होते पूर्व नेता प्रतिपक्ष, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा विधायक प्रीतम सिंह मीडिया के सामने आए। उन्होंने इन तमाम कयासों से खुद को यह कहकर अलग किया कि ‘किसी बड़े चेहरे की बात की जा रही है, मैं तो बड़ा चेहरा नहीं हूं। जो बड़ा चेहरा होगा वही बता सकता है।’
इतना ही नहीं प्रीतम सिंह ने उनके बीजेपी में जाने की अटकलों के उलट भाजपा पर सांप्रदायिकता, प्रदेश के हालात, चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं, पर्यटन की स्थिति आदि को लेकर तीखा हमला बोला। यानी कि उन्होंने अभी तक का अपना स्टैंड करीब-करीब क्लियर कर दिया है।