Politics of Uttarakhand: सियासत में यूं तो दल-बदल कोई नई बात नहीं। मगर ताज्जुब तब, कि जो दल पिछले चुनाव में बेतरह जमींदोज हुआ और जिसके ‘कल’ को लेकर राजनीतिक पंडित भी ‘भविष्यवाणी’ तक करने से बच रहे हों, एक बड़े दल के टूटे हुए सितारे उसमें जाकर ‘अटक’ रहे हैं। इनदिनों उत्तराखंड की सियासी जमीन पर कुछ ऐसा ही ‘खेला’ चल रहा है।
फ्लैश बैक में देखें, कांग्रेस (Congress) में 2016 के विद्रोह की बुनियाद पर भाजपा (BJP) को 2017 में ‘प्रचंड’ सत्ता मिली। अलग बात है कि पांच साला कार्यकाल में उसके तीन सीएम बदले। बावजूद, पार्टी ने अपने चुनावी कौशल से 2022 में कांग्रेस से ‘सत्ता’ को ही नहीं छीना बल्कि राज्य में बारी-बारी सत्ता की अदला-बदली के ‘मिथक’ को भी तोड़ा। हालांकि इसके लिए एक-दूसरे के गढ़ों में सेंधमारी का खेल जमकर चला।
जबकि, उत्तराखंड की सियासत में पहली बार आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने भी दस्तक दी। शुरूआत के बेहतर रूझानों से हलचल हुई। लेकिन चुनावी समर के आखिरी दौर में उसने अपने वजूद को भांपकर अंदरखाने खुद कदम पीछे खिंच लिए। नतीजा, सीएम के चेहरे से लेकर उसके अधिकांश कैंडिडेट जमानत तक नहीं बचा सके। रही सही कसर, जहाज के डूबने की आशंका में सीएम कैंडिडेट और पार्टी अध्यक्ष से लेकर कई विधायक प्रत्याशी भाजपा के जहाज में कूच कर पूरी कर गए।
मगर, जैसा कि ‘राजनीति को संभावनाओं’ का खेल माना जाता है, मंझधार में डोलती ‘आप’ की पतवार को कांग्रेस के दिग्गजों ने थामना शुरू कर दिया। शुरूआत हुई दशकों पुराने ‘खांटी’ कांग्रेसी जोत सिंह बिष्ट (Jot Singh Bisht) से। जिन्हें पार्टी ने तत्काल राजनीतिक समन्वयक के ओहदे से नवाजा। परिणाम, कांग्रेस के कुनबे में ‘झगड़ों’ से आजिज आए प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी (RP Raturi), पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश रमन (Kamlesh Raman) और आईटी के जानकार कुलदीप चौधरी (Kuldeep Chaudhari) भी कल दिल्ली में ‘आप’ (Aap) से जुड़ गए। कहा जा रहा है कि कांग्रेस से अभी कई और नाम भी कतार में हैं।
खासबात, कि कांग्रेस के भीतर पार्टी नेताओं के छोड़ने और आप को ज्वाइनकरने की पीड़ा तो जरूर होगी, लेकिन अभी तक इस संकट पर किसी भी बड़े नेता की प्रतिक्रिया सामने नहीं दिखी है। जिससे कांग्रेस के भविष्य को लेकर भी जानकार आशंकाएं ही जता रहे हैं।