नंदादेवी राजजात के मानचित्र पर अंकित हो कुरुड़ व देवराला

देहरादून। बड़ी नंदाजात आयोजन समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज से राजजात के मानचित्र पर कुरुड़ और देवराला मुख्य पड़ाव के तौर पर अंकित करने की मांग की। महाराज ने मामले के परीक्षण के बाद समाधान का आश्वासन दिया।
शुक्रवार को मां नंदा देवी राजराजेश्वरी सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर नंदानगर बड़ी नंदाजात-2026 आयोजन समिति का एक प्रतिनिधिमंडल धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि नंदा देवी राजजात में राजा के प्रतिनिधि कांसवा के कुंवर परंपरा के तहत नौटी से चलकर नंदकेसरी में नंदादेवी सिद्धपीठ कुरुड़ की डोली में अपनी पूजा और मनौती भेंट करते हैं। कुरुड़ के गौड़ ब्राह्मण बधाण के पुजारियों के हाथों से पूजा अर्चना होती है।
उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष नंदादेवी राजराजेश्वरी सिद्धपीठ कुरुड़ से छोटी जात (लोकजात) व 12 वर्ष बाद बड़ी जात (राजजात) का आयोजन होता है। बताया कि हिमालयी महाकुंभ की तर्ज पर आयोजित राजजात में राजा की कुलदेवी सिद्धपीठ कुरुड़ व देवराला को मुख्य पड़ाव व राजजात के मानचित्र पर अंकित नहीं किया गया है। इसलिए इन पड़ावों को भी राजजात यात्रा मानचित्र में शामिल किया जाये।
महाराज ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि पूरे मामले का परीक्षण कराने के बाद इसका समाधान करने का प्रयास किया जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में आयोजन समिति के धनीराम गौड़, प्रकाश चंद गौड़, जनार्दन प्रसाद गौड़, राकेश चंद्र गौड़, अशोक प्रसाद गौड़, विपुल मैंदोली, जगत सिंह नेगी, रघुनाथ फरस्वाण, सुनील कोठियाल, मनीष नेगी, दीपक पंत, गंभीर रावत और विजेंद्र रावत शामिल थे।