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Uttarakhand: एक और बीजेपी एमएलए ने लगाए ‘भीतरघात’ के आरोप

उत्तराखंड विधानसभा के नतीजे आने में अभी 20 दिन बाकी हैं। मगर, जीत के दावों के बावजूद भाजपा विधायकों के अपनों पर ही भीतरघात के आरोप प्रदेश की सियासत को गर्म किए हुए हैं। पिछले दिनों तीन भाजपा विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कुछ कार्यकर्ताओं पर उन्हें हराने के लिए काम करने का आरोप लगाया। जिसके चलते पार्टी में घमासान हालात की रिपोर्टिंग के लिए सीएम धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक दिल्ली तलब तक किए जा चुके थे। आज इस लिस्ट में एक विधायक का नाम और शामिल हो गया है।

यमनोत्री से भाजपा विधायक और मौजूदा प्रत्याशी केदार सिंह रावत ने भितरघात की बात कही है। इससे पहले लक्सर के विधायक और प्रत्याशी संजय गुप्ता प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर चुनाव में हराने के लिए बसपा उम्मीदवार का साथ देने का आरोप लगा चुके हैं। जिसके बाद भाजपा के भीतर हड़कंप मच गया था। इसके बाद कुमाऊं में चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी और फिर काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा ने भी ऐसे ही मुद्दे उठाए।

14 फरवरी को वोटिंग के ठीक बाद लक्सर विधायक संजय गुप्ता का वीडियो वायरल हुआ। तो कैलाश गहतोड़ी ने बाकायदा प्रेस के सामने कई पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओ पर उन्हें हराने की साजिश रचने का आरोप लगाया। वहीं काशीपुर में इसबार भाजपा ने विधायक हरभजन सिंह चीमा की डिमांड पर उनके बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को टिकट दिया। तो मतदान में बाद चीमा ने अपने ऑफिस में प्रेस बुलाकर बेटे को हराने की साजिश का आरोप लगाया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीमा ने यहां तक कहा कि पार्टी उन लोगों को जानती है, जिन पर आरोप हैं। कुछ ऐसे ही बात गहतोड़ी ने कही कि पार्टी के ही कुछ लोगों अन्य दलों उम्मीदवारों के पक्ष में अंदरखाने काम किया। कहा कि वह इसबारे पार्टी में शिकायत भी दर्ज कराएंगे।

इसके बाद से पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है। विपक्ष ने भी इसे हाथों हाथ लेते हुए बीजेपी पर निशाने साधे, कि विधायकों का आरोप लगाने से साबित हो गया कि भाजपा इस चुनाव में हार रही है। भाजपा में इस असहज स्थिति के बाद मीडिया में खबरें आई कि हाईकमान ने सीएम धामी और प्रदेश अध्यक्ष कौशिक को दिल्ली तलब किया है। हालांकि अब बताया जा रहा है कि इस मामले पर रिपोर्ट मांगी गई है। यह भी कि ऐसे प्रत्याशियों को अपनी बात मीडिया की बजाए पार्टी फोरम में रखने की हिदायत दी गई है।

बताते चलें कि भीतरघात के इन आरोपों के बाद भी संबंधित विधायक अपनी जीत की बात भी कह रहे हैं, बस उन्हें मार्जिन कम होने की आशंका है। सो, इस तमाम हलचल को जानकार 10 मार्च को आने वाले संभावित नतीजों से जोडकर भी देखने लगे हैं।

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