Rishikesh Assembly Election 2022: उत्तराखंड के पिछले चार विधानसभा चुनावों में मतदाता ‘सत्ता परिवर्तन’ पर मुहर लगाता रहा है। इसबार लगाएगा या नहीं, फिलहाल इसपर कयास से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। मगर, ऋषिकेश विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार के अंतिम दिन आने तक ‘परिवर्तन’ की लहर हावी होती दिख रही है। हालांकि 14 फरवरी के दिन तक ऐसे संकेत क्या करवट लेंगे, निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी ही होगी।
ऋषिकेश विधानसभा सीट अभी तक एक बार कांग्रेस तो तीन बार से भाजपा के पास है। दूसरे चुनाव में कांग्रेस के सीट गंवाने के ‘परिवर्तन’ नहीं बल्कि आंतरिक गुटबाजी एक बड़ा कारण थी। इसके बाद तीन बार के चुनावों में भी ‘परिवर्तन’ की कोशिशें सिर्फ 2017 में ही नजर आईं। लेकिन तब वह इतना बड़ा मुद्दा नहीं बन सकी और न ही जनता को भायी। नतीजा, इस चुनाव में बीजेपी ने वोटों की बंपर फसल काटी। परिवर्तन पर ‘मोदी लहर’ ने भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त किया। यह स्थिति मौजूदा चुनाव में नहीं दिख रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में सिटिंग विधायक प्रेमचंद अग्रवाल को ही चौथी बार मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने एक नए चेहरे जयेंद्र रमोला को सामने खड़ा किया है। जबकि मुकाबले को चतुष्कोणीय बना रहे आम आदमी पार्टी और उत्तराखंड जनएकता पार्टी ने यहां दो युवाओं राजे सिंह नेगी और कनक धनाई पर दांव आजमाया है। अब जब आज प्रचार का आखिरी दिन है, और ठीक एक दिन बाद मतदान होना है, तो माहौल में ‘परिवर्तन’ का जबरदस्त शोर सुनाई दे रहा है।
परिवर्तन के इस शोर पर जानकार कई कारण गिनाते हैं। यथा, विधानसभा क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं होना, वह मसले जो पिछले तीन चुनावों में प्रत्याशियों के ‘निजी घोषणापत्रों’ में थे, और फिर से नए रंग रुप वाले मैनिफेस्टो में इसबार भी शुमार हैं, विकास की बड़ी योजनाओं की बजाए गली-मोहल्लों तक ही बजट का पहुंचना आदि। इनके अलावा जानकार कुछ ‘सियासी’ कारण भी बताते हैं। जिनमें ‘लोकल राजनीति’ की वह ‘ख्वाहिशें’ जो अपना भविष्य ‘दांव’ पर मान रही हैं, सबसे खास है।
पिछले 12 दिन के प्रचार में सियासी दलों ने ‘परिवर्तन’ को इसकदर हवा दी कि पहली नजर में वह जमी‘लहर’ जैसी दिख रही है। आम लोगों के बीच भी इस ‘लहर’ की चर्चाएं हैं। सूत्रों की मानें, तो हर तरफ सुनाई दे रहे ‘परिवर्तन’ के नारे का असर उन रणनीतिकारों पर भी पड़ा, जो एक माइंडसेट के साथ शुरूआत में अपनी जिस ‘लीड’ को तय मान रहे थे, उन्होंने ही अब अपनी तय ‘लीड’ में 10 से 15 फीसदी की कटौती कर दी है। सो, 14 फरवरी के बाद सबको 10 मार्च का इंतजार रहेगा, कि बतौर ‘लहर’ धीरे-धीरे हावी हो रहे ‘परिवर्तन’ का आखिर क्या नतीजा निकलता है?