मकर संक्रांतिः इस दिन मनाएं पर्व, यह है शुभ मुहूर्त

Makar Sankranti : इसवर्ष मकर संक्रांति का पर्व किस दिन मनाएं इस बात पर भी लोगों के बीच दुविधा जैसी स्थिति दिख रही है। इस पर प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने अपना मत रखा। बताया कि 14 जनवरी को सूर्यास्त के बाद संक्रमणकाल के कारण संक्रांति पर्व 15 जनवरी को मनाया जाना ही शास्त्र सम्मत है। उन्होंने इसके महत्व, परंपरा और मुहूर्त की भी जानकारी दी है।
आचार्य चंडी प्रसाद ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। भगवान सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश और दक्षिणायन से उत्तरायण होने पर इस दिन को मकर संक्रांति पर्व के नाम से मनाया जाता है। भारत में कई स्थानों पर इसे उत्तरायणी तो कहीं खिचड़ी संक्रान्ति के नाम से पूकारा जाता है। इस शुभ दिन पर पवित्र गंगा और अन्य नदियों में स्नान का महात्म्य भी है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी। संक्रांति की शुरुआत 14 जनवरी को रात 08 बजकर 43 मिनट पर होगी। पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा और समापन शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा। वहीं, महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
मकर संक्रांति पूजन विधि
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें। श्रीमद्भागवत गीता के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें। नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें। भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं। भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें। संध्याकाल में अन्न का सेवन न करें। इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
इसदिन करें ये खास उपाय
1. मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के पानी में काले तिल डालें। तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है।
2. मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें। जल में तिल अवश्य डालें। ऐसा करने से इंसान की बंद किस्मत के दरवाज़े खुलते हैं।0
3. इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने पर पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख समृद्धि आती है।
4. इस दिन पितरों की शांति के लिए जल देते समय उसमें तिल अवश्य डालें। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
5. अगर आर्थिक रूप से कोई समस्या आ रही है तो इस दिन घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें और सूर्य मंत्र का 501 बार जाप करें।
6. कुंडली में मौजूद किसी भी तरह का सूर्य दोष को कम करने के लिए तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करें।
(ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। मोबाइल -9411153845)