ऋषिकेश

‘बहू’ बनकर आई थी, ‘बेटी’ बनकर हुई ‘विदा’

रायवाला (चित्रवीर क्षेत्री)। कंचन जिस घर में बहू के रुप में आई थी, एक दिन पहले उसी घर से अपने नए संसार को सजाने के लिए सात फेरे लेकर बेटी की तरह विदा हुई। यह कहानी है कंचन की, जिसका विवाह के महज छह महीने में ही पति से साथ अकस्मात साथ छूट गया था।

कंचन की 24 नवंबर 2020 के दिन खैरी कलां निवासी आनंदस्वरूप लखेड़ा के पुत्र प्रशांत लखेड़ा से विवाह हुआ था। अभी अपने संसार को रचाने बसाने की जुगत कर ही रही थी, कि अचानक कोरोना ने छह माह में ही उससे पति को छीन लिया। कोरोना संक्रमण के कारण 26 मई 2021 को प्रशांत की मौत हो गई। तब कंचन की उम्र मात्र 25 साल थी।

उसके भविष्य को लेकर लखेड़ा दंपत्ति भी चिंतित हुई। कंचन के पास पूरी जिंदगी थी, और अकेले एक विधवा के तौर पर लंबे सफर को काटना आसान नहीं था। ऐसे में लखेड़ा परिवार ने सामाजिक परपंराओं से इतर कंचन के पुनर्विवाह का निर्णय लिया। इससे पहले एक बेटी के तौर पर कंचन की अनुमति ली और उसे नई जिंदगी को जीने का हौसला भी बंधाया।

आखिर उनकी कोशिशें आखिर रंग लाई। विकासनगर में रह रहे हमीरपुर हिमाचल प्रदेश निवासी सुशील डोगरा ने कंचन का साथ बनना मंजूर किया। बीते दिवस 24 जून को सत्यनारायण मंदिर में सादे विवाह समारोह में कंचन और सुशील ने एक दूसरे के साथ सात फेरे लिए।

मंदिर के पंडित राजकिशोर तिवाड़ी ने उनके विवाह के संस्कारों को विधिविधान से पूरा कर उन्हें नई जिंदगी का आशीर्वाद दिया। जिसके बाद आनंदस्वरूप लखेड़ा और उनकी धर्मपत्नी सरोज लखेड़ा ने परिजनों की मौजूदगी में कंचन का कन्यादान कर विदा किया।

परंपराओं से इतर कंचन के जीवन को लेकर लखेड़ा परिवार के इस निर्णय की हर तरफ सराहना हो रही है। उन्होंने समाज को एक सकारात्मक रहा भी दिखाई है।

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