बाल विवाह रोकने को बनानी होगी साझा कार्ययोजनाः राधा रतूड़ी
बचपन बचाओ आंदोलन के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का सम्मेलन आयोजित

देहरादून। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (BBA) ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत गृह विभाग के साथ मिलकर सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए साझा कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया।
सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी ऑडिटोरियम में आयोजित सम्मेलन में उत्तराखंड को बाल विवाह मुक्त बनाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। सम्मेलन मेकं मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, विशिष्ट अतिथि अपर सचिव गृह विभाग निवेदिता कुकरेती, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, अपर सचिव महिला एवं बाल कल्याण विभाग प्रशांत आर्य, श्रमायुक्त अनिल पेटवाल उप निदेशक महिला एवं बाल कल्याण विभाग सुजाता सिंह ने प्रतिभाग किया।
‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कहा कि कैलाश सत्यार्थी के आह्वान के बाद देश में अप्रत्याशित प्रतिक्रिया सामने आई। देशभर के 7028 गांवों से 76,000 महिलाएं और बच्चों ने बाल विवाह के खिलाफ एकसाथ आवाज उठाई। कहा कि राज्यों में प्रस्तावित सम्मेलन 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक और कदम हैं। इसके लिए हमें एक बहुस्तरीय और बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है। इन परामर्श सम्मेलनों से हम सभी हितधारकों को साथ लाना चाहते हैं, ताकि इस अपराध के खिलाफ साझा लड़ाई लड़ी जा सके।
मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा, बाल विवाह के खिलाफ प्रभावी तरीके से लड़ाई के लिए हमें एक साझा कार्ययोजना बनाने की जरूरत है। साथ ही हमें समाज के सबसे असुरक्षित बच्चों के साथ काम करने की भी जरूरत है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि उनके साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होने पाए।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बाल विवाहों को रोकने की चुनौतियों पर चर्चा की। कहा कि विडंबना ये है कि एक तरफ जहां हम इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ नैतिक और कानूनी रूप से गलत होने के बावजूद समाज के कुछ हिस्सों में बाल विवाह को सामाजिक स्वीकृति है। समाज के हर व्यक्ति को जागरूक करने के लिए मिलकर काम करने और कानूनों पर प्रभावी अमल सुनिश्चित करने की जरूरत है।
अपर सचिव प्रशांत आर्य ने बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में एक साझा और सुसंगत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। कहा, बाल विवाह ने हमारे समाज में गहरे तक जड़ें जमा रखी है। बाल विवाह सिर्फ एक बच्चे के बचपन को ही नहीं बल्कि उसके पूरे जीवन को बर्बाद कर देता है।
बाल विवाह के आंकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-2021) के अनुसार देश में 20 से 24 साल की 23.3 प्रतिशत लड़कियों और उत्तराखंड में 9.8 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष का होने से पूर्व ही हो गया था। 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल 51,57,863 लड़कियों का जबकि उत्तराखंड में 54,858 लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया।