साहित्यहिन्दी

साहित्यः शिवप्रसाद जोशी बने पहले ‘चाक कविता सम्मान’ के हकदार

Chak Kavita Samman 2022: श्री सोहनवीर सिंह प्रजापति स्मृति प्रथम चाक कविता सम्मान ’रिक्तस्थान एवं अन्य कविताएं’ के लिए कवि एवं पत्रकार शिवप्रसाद जोशी को दिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि मदन कश्यप, अध्यक्ष हरिनारायण, अनिता भारती, उपेन्द्र कुमार, सन्तोष पटेल, रजत कृष्ण, भास्कर चौधरी आदि उपस्थित रहे। यह पुरस्कार कवि रमेश प्रजापति ने अपने पिता की स्मृति में आरम्भ किया है।

सम्मानित कवि शिवप्रसाद जोशी ने कहा कि चाक कविता सम्मान के कार्यक्रम की शुरुआत 20 मार्च को हो रही है और इस तरह यह ऐतिहासिक महाड़ मुक्ति-संग्राम के गौरवशाली सिलसिले से भी जुड़ रहा है। इसी दिन 1927 को बाबा साहब ने उस महान संघर्ष का आगाज़ किया था। इंसानी बराबरी और गरिमा के संघर्षों में एक्टिविस्टों की भूमिका के महत्व के प्रति सम्मान जताते हुए उन्होंने रचनाकार की भूमिका को लेकर महत्वपूर्ण बातें रखीं।

उन्होंने सवाल किया कि लेखक के पास रचनात्मक उत्कृष्टता के अलावा क्या औजार होंगे और फिर इस बात में जवाब की तरह जोड़ा – विवेक और सहज बोध के साथ-साथ हमें साहस की दरकार है। साहस, संघर्ष, प्रेम या इंसानियत के लिए हमें वर्चस्व और प्रभुत्व के हथकंड़ों से खुद को बचाए रखना होगा। तमाम क़िस्म की निरंकुशताओं का विरोध करना होगा। उन्होंने टैरी इगलटन, अरुंधति रॉय, स्नोडन, अंसाजे, मार्क्स, जॉन जर्जन, मुक्तिबोध, शमशेर, विलियम फॉक्नर, मंगलेश डबराल आदि देश-दुनिया के लेखकों, दार्शनिकों, एक्टिविस्टों के हवाले देते हुए वर्चस्वशाली शक्तियों के विरुद्ध संघर्ष, प्रेम और रचना प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर रौशनी डाली।

वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने कहा कि चाक सम्मान का अर्थ सिर्फ़ यह नहीं है कि एक रचनाकार ने अपने पिता की स्मृति में एक सम्मान शुरू किया है। इस सम्मान के नाम में उनके श्रमशील- शिल्पकार पिता का चाक कविता के साथ जुड़ता है तो इसका श्रम-सृजन की ऐतिहासिक- सांस्कृतिक परंपरा और सांस्कृतिक- सृजनात्मक पहचान से रिश्ता सामने आता है। उन्होंने कबीर और रैदास जैसे कवियों को याद करते हुए कहा कि श्रम-सृजन का संस्कृति और सृजन से गहरा रिश्ता रहा है।

दलित लेखक संघ की अध्यक्ष व स्त्रियों व बहुजन समाज के संघर्षों की चेतना से जुड़े मसलों पर मुखर और बेबाक स्वर वालीं कवि अनीता भारती ने महाड़ आंदोलन से जुड़े इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि एक श्रमशील रचनाकार के श्रमशील पिता की स्मृति में हो रहे इस आयोजन का इस तरह एक ख़ास अर्थ भी है। उन्होंने शिव प्रसाद जोशी की कविताओं को इंसानी संघर्षों की तरफ़दारी के लिहाज़ से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि रमेश प्रजापति की रचनाओं में भी उनके पिता के श्रमशील और शिल्पकार व्यक्तित्व की गरिमा को महसूस किया जा सकता है।

कार्यक्रम में मनु स्वामी, विपुल शर्मा, तरुण गोयल, अश्वनी खण्डेलवाल, शिवकुमार, प्रबोध उनियाल, प्रतिभा त्रिपाठी, शालिनी जोशी, कमल प्रजापति, ममता, श्रुतिॉ वागीश, शिखा कौशिक, योगेन्द्र सिंह, डा़ बसन्त कुमार, सुनील शर्मा, रामकुमार रागी, सुशीला शर्मा, विजया गुप्ता, बी़एस़ त्यागी, अमरीश त्यागी, धीरेश सैनी, अरविंद कुमार, प्रतिभा त्रिपाठी, ए कीर्तिवर्धन, प्रदीप जैन, आरएम तिवारी, जेपी सविता, सुशीला शर्मा, परमेन्द्र सिंह, परविंदर कौर, शिशुपाल सिंह, भूपिंदर कौर, कमल त्यागी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रोहित कौशिक ने किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button