Jhanda Mala Dehradun: देहरादून। श्री गुरु रामराय महाराज के दरबार साहिब में महंत देवेंद्र दास की अगुवाई में झंडे जी के आरोहण के साथ ही प्रसिद्ध झंडा मेले का विधिवत शुभारंभ हो गया। 90 फीट ऊंचे झंडे जी के आरोहण के दौरान पूरा माहौल जयकारों के उद्घोष से गुंजायमान रहा। आरोहण की इस परंपरा के हजारों श्रद्धालु साक्षी बनें
मंगलवार को झंडे जी के आरोहण के साथ ही देहरादून का महीने भर तक चलने वाला प्रसिद्ध झंडा मेला शुरु हो गया है। दरबार साहिब के श्रीमहंत देवेंद्र दास की अगुआई में झंडे जी का आरोहण किया गया। आरोहण के अवसर पर जयकारों के बीच श्रद्धा, भक्ति के भावों में संगतें समाहित हो गई। इसबीच आरोहण से पूर्व झंडे जी का दूध, दही, घी, मक्खन, गंगाजल और पंचगव्यों से स्नान कराया गया। वैदिक विधान से पूजा अर्चना के बाद अरदास हुई। 10 बजे से झंडे जी (पवित्र ध्वजदंड) पर गिलाफ चढ़ाने का कार्य शुरू हुआ और उसके बाद आरोहण किया गया।
मेले में देश-विदेश से हजारों की संख्या में संगतें और श्रद्धालु देहरादून पहुंचे हैं। 24 मार्च को ऐतिहासिक नगर परिक्रमा होगी। महंत देवेन्द्र दास ने संगत और श्रद्धालुओं से कोविड नियमों का पालन करने की अपील की है। भव्य आयोजन के लिए दरबार साहिब, झंडा जी मेला आयोजन समिति ने सभी जरूरी व्यवस्थाएं की हैं।
गुरु की ने डाली यह परंपरा
झंडा मेला का इतिहास देहरादून की परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। सन 1676 में गुरु राम राय महाराज देहरादून आए थे। उन्होंने यहां की रमणीयता से मुग्ध होकर डेरा बनाया। उसी के अपभ्रंश स्वरूप इस जगह का नाम डेरादीन से डेरादून फिर देहरादून हो गया। उन्होंने इस धरती को अपनी कर्मस्थली बनाया। गुरु महाराज ने दरबार साहिब में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा देहरादून के बीच में लगाकर लोगों को इसी ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने का संदेश दिया। इसके साथ ही झंडा साहिब के दर्शन की परंपरा शुरू हो गई। गुरु राम राय महाराज को देहरादून का संस्थापक कहा जाता है। गुरु राम राय महाराज सिखों के सातवें गुरु गुरु हर राय के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवे दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर (अब रोपड़) के कीरतपुर में हुआ था।