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Astrology: ‘बृहस्पति’ कल से होंगे अस्त, किन राशियों का डूबेगा तारा

चुनाव परिणामों पर क्या रहेगा, क्या क्या करें उपाय- जानें

देश के पांच राज्यों में से चार में विधानसभा चुनाव के अभी पांच चरण शेष हैं। इसी दौरान सौरमंडल में गुरु अर्थात बृहस्पति कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं। सामान्य बोलचाल में इसे तारा डूबना भी कहा जाता है। इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्यों के आयोजन का निषेध किया जाता है। ऐसे में सौरमंडल की इस स्थिति का प्रभाव मौजूदा चुनावों पर भी पड़ सकता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि 19 फरवरी शनिवार (कल) को गुरु ग्रह सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर कुंभ राशि पर अस्त हो रहे हैं। जो कि 20 मार्च रविवार की सुबह 9 बजकर 37 मिनट पर वापस इसी राशि में उदय होंगे। जिसके कारण मांगलिक कार्यों अर्थात विवाहादि का मुर्हूत अब 15 अप्रैल है। इस अविघि में धार्मिक अनुष्ठान, नए व्यवसाय का शुभारंभ, मकान की नींव डालना और नया निवेश आदि निषेध कहा गया है।

वैदिक ज्योतिष में ग्रह के अस्त होने को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। प्रतिवर्ष, जो भी ग्रह सूर्य के बेहद करीब आ जाता है वह कुछ दिनों के लिए आकाश में नहीं दिखाई देता। ऐसे दिनों को ग्रह-अस्त, ग्रह-लोप, ग्रह-मौद्य, ग्रह-मौद्यामि के नाम से जाना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को संपन्नता, विवाह, वैभव, विवेक, धार्मिक कार्य, गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि तथा राजकाज आदि का कारक माना गया है। जिसके अस्त होने को शुभ नहीं माना जाता। बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क इसकी उच्च राशि है। जबकि मकर इनकी नीच राशि मानी जाती है। 27 नक्षत्रों में बृहस्पति पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं। ज्योतिषीय मान्यता में जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा रहती है उसके अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है।

इसी अवधि में चुनावों के पांच चरण अभी संपन्न होने हैं और इसी बीच परिणाम भी आएंगे। तब जीत-हार किसकी होगी? कौन सरकार बनाएगा? कौन सत्ता से जाएगा, यह भले ही संबंधित व्यक्ति और दलों की कुंडलियों की ग्रह दशाओं पर निर्भर करेगा। तब भी गुरु ग्रह के अस्त होने का व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जिनकी जन्म पत्रिका में गुरु मुख्य ग्रह है, धनु या मीन राशि है, उनकी दिनचर्या में कुछ विघ्न आ सकता है। ऐसे उम्मीदवारों को झटका लग सकता है। वहीं सत्तारुढ़ दलों की परेशानियां भी बढ़ेंगी। जीत की राह आसान नहीं होगी। राजनेताओं में वैमनस्यता भी बढ़ सकती है। जो बहुत आशावान हैं उन्हें भी उम्मीद से कम मिलेगा।

राशियों पर प्रभाव
मेष- मेष राशि लिए गुरु अस्त शुभ नहीं माना जा रहा है। नौकरी, व्यापार में परेशानी, खर्चों में वृद्धि, जीवनसाथी से संबंधों में खराबी, मानसिक तनाव संभव है।

वृषभ- इस अवधि में इच्छाएं अधूरी रह सकती हैं। नौकरी में बदलाव की बात फिलहाल टाल दें। व्यापार में मंदी, जीवनसाथी से अनबन हो सकती है। सेहत का ध्यान रखें। काम में सफलता में देरी होगी। .

मिथुन- करियर में मुश्किलें, बनते काम का बिगड़ना, आर्थिक तंगी, पारिवारिक मुश्किलें, मानसिक तनाव, वैवाहिक जीवन में मनमुटाव हो सकता है।

कर्क – कार्यों में सफलता को अधिक परिश्रम करना पड़ेगा। आर्थिक परेशानियां, लाइफ पार्टनर से अनबन, व्यापार में नुकसान हो सकता है। इस दौरान खानपान का विशेष ध्यान रखें।

कन्या- बृहस्पति के गोचर काल में सावधान रहें। नौकरी में सुखद बदलाव संभव। जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें। धन लाभ की स्थिति। अनावश्यक धन व्यय का भी योग।

वृश्चिक- आमदनी से ज्यादा पैसा खर्च हो सकता है। बाजार में निवेश ये पहले जानकारों की राय जरूर लें। विवाद उत्पन्न न होने दें। लक्ष्य प्राप्ति के लिए मेहनत करें। आलस्य से बचें।

धनु- जातकों के भाई-बहन, मित्रों, पड़ोसियों के साथ संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है। अहंकार से बचें, वाणी को खराब न करें। पराक्रम में कुछ कमी महसूस होगी। पैसे बचाने की कोशिश करें। भविष्य के लिए निवेश कर सकते हैं।

मकर- सावधान रहें। निंदा रस से बचें। शिक्षा के क्षेत्र में मनचाहा परिणाम नहीं। संतान की पढ़ाई की चिंता रहेगी। धन हानि के योग। तनाव और कलह से दूर रहें।

कुम्भ- इस राशि में बृहस्पति की स्थिति कुछ मामलों में परेशानी का कारण हो सकती है। लक्ष्य प्राप्ति में बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता पड़ेगी।

मीन राशि- मीन राशि के स्वामी स्वयं देव गुरु बृहस्पति है उनका अस्त होना इस राशि के लिए ठीक नहीं है। स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव रहेगा, हालांकि राजकीय कार्य सफल होंगे।

उपाय : जन्म पत्रिका को दिखाएं। बृहस्पति ठीक है परंतु वर्तमान गोचर में स्थिति खराब है तो एक माह केसर का तिलक लगाएं। बृहस्पतिवार को जरूरतमंदों को भोजन कराएं। पीले मीठे चावल गरीबों में बांटें। जरूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षण सामग्री भेंट करें। केले के वृक्ष की परिक्रमा करें। उस पर चने की दाल अर्पित करें। गाय को चने की दाल या हरी सब्जी, गुड़, गेहूं खिलाएं। रोजाना आटे की लोई पर हल्दी का तिलक कर गाय को खिलाएं। बृहस्पतिवार के दिन पीपल में जल अर्पित करें। पुखराज धारण करें। गुरु के बीज मंत्र ’ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः’ का एक माला जप करें।

(नोट – ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय- सी- 800, आईडीपीएल कॉलोनी, वीरभद्र, ऋषिकेश। मोबाइल -9411153845)

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