
Uttarakhand Assembly Election 2022: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) की चुनाव न लड़ने संबधी चिट्ठी वायरल हो चुकी है। उन्होंने भाजपा (BJP) केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को संबोधित पत्र में जहां पार्टी द्वारा उन्हें दी गई जिम्मेदारियो के लिए आभार जताया है, वहीं उन्होंने पार्टी की जीत के लिए काम करने की भी इच्छा जताई है। बावजूद इसके उनकी चिट्ठी की वजहों पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं, आखिर क्यों उन्हें चिट्ठी लिखनी पड़ी, जबकि कुछ दिन पहले तक उन्होंने पार्टी के निर्देश होने पर चुनाव लड़ने की बात कही थी।
मीडिया रिपोर्ट्स में कुछ कयास लग रहे है कि ऐसा उन्होंने हाईकमान के निर्देश पर किया, या कि वह मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद से नाराज चल रहे हैं, अथवा उन्हें अपने से जूनियर के नेतृत्व में चुनाव लड़ना सही नहीं लग रहा! यह भी कि हाईकमान उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी देना चाहता है। यानि जितनी रिपोर्ट्स उतनी बातें।
मगर, एक बात जो पूरी चिट्ठी में ध्यान खिंचती है, वह है ‘‘बदली राजनीतिक परिस्थितियों मुझे विधानसभा चुनाव 202 नहीं लड़ना चाहिए।’’ पत्र में उन्होंने इसका खुलासा तो नहीं किया है, लेकिन इसी पंक्ति के इर्दगिर्द वह वजहें भी हो सकती हैं, जिनके चलते उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का अकस्मात निर्णय लिया है।
ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि मौजूदा राजनीति की वह कौन सी परिस्थितियां हैं जिनके बदलने पर उन्हें चुनाव मैदान में उतरना सही नहीं लग रहा है। ऐसा कौन सा संशय है, जो जिसने उन्हें इस निर्णय तक पहुंचने को मजबूर किया? क्या वे परिस्थितियां पार्टी के भीतर की हैं, या फिर उनके विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी हुई?
खैर, त्रिवेंद्र सिंह रावत की चिट्ठी लिखने की वजहें भले ही अभी साफ न हों, और आगे उनके अनुसार ‘बदली हुई परिसिथतियों’ का खुलासा हो, तब भी एक बात साफ है कि उनमें निर्णय लेने और दो टूक कहने की ताकत जरूर है। जो कि टीएसआर को इस अवसरवादी सियासत से अलग दर्शाती है।