उत्तराखंड में विधानसभा की 70 सीटों पर मतदान के बाद कयास लग रहे हैं कि सरकार किसकी बनेगी। दावे और प्रतिदावे भी जारी हैं। उधर, पूर्व सीएम हरीश रावत का यह बयान कि ‘मुख्यमंत्री बनूंगा या घर बैठूंगा’ भी चर्चाओं में है। बावजूद इसके मतदान के दौरान कांग्रेस के पक्ष में राजनीति रुझान के दावे के साथ उन्होंने बतौर सीएम भविष्य के कामों को सार्वजनिक करना भी शुरू कर दिया है। जिसमें उनके द्वारा कांग्रेस के घोषणा पत्र के इतर भी घोषणाएं की जाने लगी हैं।
आज और बीते कल में उनके फेसबुक पेज पर तीन विषय सार्वजनिक हुए हैं। जिन्हें उन्होंने सरकार बनने पर पूरा करने की बात कही है। एक विषय उत्तराखंड पुलिस से तो दो विषय मातृशक्ति से जुड़े हैं।
बकौल हरदा- मतदान हो चुका है, चुनावी वादे हवा में अभी भी गुंजायमान हैं। हमने एक विशेष वादा अपने पुलिस के जवानों से किया है। वो वादा है उनकी ग्रेड पे को पुनः पुराने स्तर पर लाने का। पुलिस की सेवाओं विशेष तौर पर उनके ड्यूटी हावर्स व ड्यूटी के दौरान विद्यमान चुनौतियों और उपलब्ध मानवीय सुविधाओं को लेकर किसी अन्य राजकीय सेवा से नहीं की जा सकती है। हमें एक बात समझनी होगी कि पुलिस जैसे संगठन को अपनी मांग के लिए सड़कों पर नहीं आना चाहिए। मगर वो न आएं इसके लिए हमें हमेशा सजग रहना होगा और उनकी मांगों को राजनीतिक जोड़-तोड़ से हटकर देखना आवश्यक है।
मैं जानता हूं कई बार पुलिसकर्मियों को अपने कर्तव्य को निभाने के लिए व्यक्तिगत और पारिवारिक दायित्वों से मुंह मोड़ कर भी ड्यूटी देनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में उनके कार्य की गुणवत्ता बढ़े यह दायित्व राज्य का और राज्य के राजनीतिक नेतृत्व का है। कांग्रेस कार्यकाल में हमने पुलिस विभाग के रिक्त पदों को भरने में हमेशा वरीयता दी। पुलिस भर्ती के रिकॉर्ड से और उनकी प्रमोशन की संख्या के रिकॉर्ड से भी इस बात को देखा व समझा जा सकता है।
पुलिस को प्रत्येक परिस्थिति में 24X7 काम करना होता है। इसलिए मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो हम इनको सामान्य तौर पर कर्मचारी संगठनों की मांगों से अलग हटकर के देखेंगे। इनके संदर्भ में निर्णय भी लीक से हटकर के ही लिया जाएगा।
मैं पुलिसकर्मियों के कुटुंबजनों से भी प्रार्थना चाहूंगा कि नई सरकार बनने जा रही है। हमें पूरी उम्मीद है कि राज्य की जनता कांग्रेस को विश्वास दे रही है। आप हमें समुचित समय दें। हम नहीं चाहते कि आपके द्वारा आवाज उठाए जाने के बाद इस मामले का समाधान निकालें। हम स्वपूरित तरीके से इस मामले का समाधान निकालने के लिए वचनबद्ध हैं।
शगुन पेंशन करेंगे प्रारंभ
हरदा लिखते हैं कि कई लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि आप 10 मार्च तक कैसे अपना दिन बिताएंगे! मैं उत्तराखंड और उन लोगों के लिए कुछ सोच आगे बढ़ाना चाहता हूं, जिनका या तो मेरे जीवन में महत्व रहा है या उत्तराखंड के जीवन में भी उनका महत्व रहा है। ऐसे ही लोगों में से एक हमारे गांवों में मांगलगीत गाने वाली हमारी महिलाएं भी हैं। जिनमें अधिकांश बुजुर्ग हैं। ये परंपरा कहीं टूट न जाए मांगलिक गीतों की, मैं चाहता हूं कि इसको सम्मान दिया जाए। हमारी सरकार बनने की स्थिति में हम फौरन शगुन पेंशन प्रारंभ करेंगे। शगुन अक्षर मांगलिक गीत गाने वाली महिलाओं को बुजुर्ग आदि के बराबर ही 1800 रुपया पेंशन मिलेगी।
घसियारी पेंशन योजना
मतदान की अगली सुबह हरदा ने पोस्ट किया कि आज एक बहुत कठिन चुनाव अभियान के बाद सुबह जब नींद खुली तो मुझे अपनी मां बहुत याद आई। जब मैं मुख्यमंत्री था, उस समय मैंने अपनी मां को स्मरण कर, जब भी उसके दर्शन करता था, मुझे लगता था वो मुझसे कुछ कह रही है कि गरीबों के लिए कुछ करो। अब मैं नहीं जानता आगे नियति ने मेरे लिए क्या रास्ता निर्धारित किया है! मगर मां, घास व लकड़ी लेकर के आने वाली आज भी मेरी बहुत सारी बहनें हैं। मैं तुझे घसियारी सम्मान पेंशन समर्पित करता हूं। सत्ता में आएंगे, मेरे हाथ में बागडोर रही मां तो घस्यारी सम्मान पेंशन मैं प्रारंभ करूंगा, चाहे 500 रुपये से ही प्रारंभ करूं।