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Uttarakhand: … तो ‘संकटमोचक’ की भूमिका निभाएंगे ‘निशंक’

Uttarakhand Politics: पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक को अचानक ही दिल्ली बुलाने की खबर उत्तराखंड में सुर्खियों में रही। मुलाकात के बाद दोनों नेताओं की फोटो तो वायर हुई, लेकिन इस अर्जेंट मीटिंग का एजेंडा क्या था, यह साफ नहीं हुआ। सो निशंक के दिल्ली दौरा पर अभी भी अटकलों का बाजार गर्म है।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 तारीख को मतदान के बाद भाजपा में भितरघात के कई आरोप सामने आए। पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों ने कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक पर उन्हें हराने के आरोप लगा डाले। जिससे असहज पार्टी ने ऐसे सभी असंतुष्ट नेताओं को पब्लिक डोमेन या मीडिया की बजाए पार्टी फोरम अपनी बात रखने की हिदायत दी। तो दूसरी तरफ प्रत्याशियों के आरोपों से यह संदेश भी निकला की मौजूदा चुनाव में भाजपा खतरे में हो सकती है।

बता दें कि मीडिया में यह भी खबर आई थी, कि बीजेपी हाईकमान के पास विधानसभा की सभी 70 सीटों पर पार्टी की स्थिति को लेकर फीडबैक और अंदरूनी सर्वें रिपोर्ट पहुंच गई है। वहीं कुछ खबरों में यह भी आशंका जताई जा रही है कि मौजूदा चुनाव के परिणाम किसी भी दल के पक्ष में होने की बजाए त्रिशंकु की स्थिति बन जाए। बताते हैं कि इसका आभास और आशंका कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही भितरखाने संशकित हैं।

सियासी जानकार रमेश पोखरियाल निशंक दौरे को इस एंगल से जुड़ा मानकर भी चल रहे हैं। क्योंकि कई सीटों पर भाजपा अपने ही बागियों के चलते सांसत में बताई जा रही है। यदि इनमें से कोई बागी चुनाव जीत गया, या फिर अन्य निर्दलीयों को विजयश्री मिली, तो उन्हें पार्टी के समर्थन में लाने के लिए निशंक पार्टी के लिए ‘संकटमोचक’ की भूमिका अदा कर सकते हैं। हालांकि निशंक के इस दौरे को पार्टी संगठन में बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। सो, असल तस्वीर 10 मार्च को ही साफ होगी, कि आखिर जेपी नड्डा और निशंक की मुलाकात के असल मायने क्या थे।

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