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नरेंद्रनगरः ‘सुबोध उनियाल’ की राह में ‘ओमगोपाल’ फिर से….?

इस विधानसभा सीट पर बीते 4 चुनावों का पूरा लेखा-जोखा और हालिया दावे

• धनेश कोठारी

उत्तराखंड में मौसम भले ही बेहद सर्द हो, लेकिन सियासत का पारा हररोज चढ़ रहा है। जनसभाओं और दावेदारों के दावों में गर्माहट को महसूस किया जा सकती है। नरेंद्रनगर विधानसभा में भी सियासत गर्माने लगी है। यह कहना भले ही जल्दबाजी हो, लेकिन इसबार भी यहां दो दिग्गजों के आमने-सामने होने के हालात बन रहे हैं। बस मुश्किल यह है कि ये दोनों ही दिग्गज भाजपा के भीतर ही हैं और इंतजार टिकट बंटवारे के दिन तक का है। ऐसे में अगर यहां चुनाव से पहले ही भाजपा को बगावत झेलनी पड़ी, तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस बात के संकेत मिल रहे हैं।

राज्य के पहले चुनाव से आज तक नरेंद्रनगर विधानसभा सीट के समर में पहले चुनाव का मुकाबला भले ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा। मगर, उसके बाद यह भिडंत दो पार्टियों की बजाए दो क्षेत्रपों के बीच सिमट गई। एक-दूसरे के धुर विरोधी इन क्षत्रपों के प्रति जनता के रुझान की बात करें तो दोनों का ही अपना-अपना एक फिक्स वोट बैंक है। ऐसे में चुनाव का निर्धारण फ्लोटिंग वोट से ही होता रहा है, जो कि तात्कालिक परिस्थितियों पर निर्भर होता है।

वर्ष 2002 के पहले चुनाव में कांग्रेस से सुबोध उनियाल और बीजेपी से लाखीराम जोशी आमने-सामने थे। उन्हें क्रमशः 9798 और 8267 वोट मिले। तब यूकेकेडी से प्रत्याशी ओमगोपाल रावत 2525 वोट लाकर चौथे स्थान पर सिमट गए थे। लेकिन बाद के चुनावों में हालात बिलकुल उलट गए। 2007 में बीजेपी के लाखीराम तीसरे स्थान पर चले गए। मुख्य मुकाबले में ओमगोपाल रावत (13729) ने चार वोट से सुबोध उनियाल का सपना तोड़ दिया था। सुबोध को 13725 वोट मिले थे।

कमोबेश ऐसा ही संघर्ष 2012 में भी दिखा। तब ओमगोपाल भाजपा के सिंबल पर चुनाव में उतरे थे। इस चुनाव में सुबोध को 21220 और ओमगोपाल को 20819 वोट हासिल हुए। सुबोध बमुश्किल महज 401 वोट के अंतर से जीते। 2017 आने तक दोनों के पाले बदल गए। सुबोध ने बीजेपी का दामन थामा, तो ओमगोपाल बगावत कर निर्दल उतर पड़े। कांटे के संघर्ष में सुबोध को 24104, ओमगोपाल को 19132 तो कांग्रेस प्रत्याशी हिमांशु बिजल्वाण को मात्र 4328 वोट मिले। यानि ‘मोदी लहर’ में भी सुबोध की बढ़त महज 4972 वोट ही रही।

अब बात आसन्न चुनाव की। 15 दिसंबर को जाजल में कृषिमंत्री सुबोध उनियाल ने नरेंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए करीब 20 करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। साथ ही जनता से ‘विकासवादी नेता’ चुनने की अपील भी की। तो 19 दिसंबर को गजा में अपनी रैली के दौरान पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत ने बीजेपी के प्रति निष्ठा जताते हुए टिकट का दावा ठोका। संकेत भी दिया कि कदाचित 1 प्रतिशत टिकट नहीं मिला तो जनता ने चुनाव लड़ने पर जोर दिया है।

सो, इस सियासत के रूख से इतना तो लगभग तय है कि पहले नरेंद्रनगर विधानसभा में टिकट फाइनल करते समय बीजेपी के सामने संकट होगा, दूसरा ओमगोपाल का टिकट कटने पर सुबोध उनियाल का संघर्ष दोगुना बढ़ जाएगा। लिहाजा, 2022 की जीत का सिरमौर कौन होगा, इसके लिए भी इंतजार के सिवा और कुछ नहीं कर सकते।

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