
• पहला पंजीकरण सीएम धामी ने कराया, पांच अन्य को प्रमाण पत्र सौंपे
• बोले- किसी भी धर्म और पंथ कि खिलाफ नहीं है समान नागरिक संहिता
Uniform Civil Code implemented in Uttarakhand : देहरादून। देश में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी) की अधिसूचना के साथ ही यूसीसी पोर्टल का भी विधिवत शुभारंभ कर दिया है। इस अवसर पर यूसीसी नियमावली बुकलेट का विमोचन भी किया गया। यूसीसी पोर्टल पर पहला पंजीकरण अपने विवाह का किया है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उन्हें इसका प्रमाणपत्र सौंपा। इस दौरान पंजीकरण कराने वाले पांच आवेदकों को भी प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
सोमवार को मुख्य सेवक सदन में आयोजित समारोह में आयोजित समारोह के दौरान यूसीसी पोर्टल नबब.ना.हवअ.पद की विधिवत शुरूआत की गई। इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तय करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी ने 2.35 लाख लोगों से सम्पर्क किया। राज्य सरकार यूसीसी को लागू कर संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. बीआर आम्बेडकर सहित संविधान सभा सदस्यों को सच्ची भावांजलि दे रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे बेहद भावुक होकर सवा करोड़ उत्तराखंडवासियों के सामने यूसीसी पूर्ण रूप से लागू करने की घोषणा कर रहे हैं। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो पाई है, इसके लिए उन्होंने सभी प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यूसीसी जाति, धर्म, लिंग के आधार पर कानूनी भेदभाव समाप्त करने का संवैधानिक उपाय है, इसके जरिए सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है। इसके जरिए महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिचित हो सकेगा। साथ ही हलाला, तीन तलाक, इद्दत जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगेगी। इसमें संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इससे उनके रीति रिवाजों का संरक्षण हो सकेगा। जिन पंजीकृत व्यक्तियों का विवाह यूसीसी के लागू होने से पूर्व पंजीकृत हुआ हो या तलाक की डिक्री घोषित हुई हो या विवाह निरस्त हुआ हो, उनसे पहले छह महीने में किसी भी तरह का रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है। यह समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर, समानता से समरसता कायम करने का कानूनी प्रयास है। इसमें किसी की भी मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है। कहा कि विश्व के प्रमुख मुस्लिम और विकसित देशों में पहले से ही यूसीसी लागू है। इस कानून द्वारा सभी लोगों के लिए विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार के नियमों को समान किया गया है। सभी धर्म के लोग अपने अपने रीति रिवाजों से विवाह कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अब सभी धर्मों में लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 कर दी गई है। साथ ही पति या पत्नी के रहते दूसरे विवाह को प्रतिबंध किया गया है। समान नागरिक संहिता में बाल अधिकारों को संरक्षित किया गया है, साथ ही बेटियों को सम्पति में समान अधिकार दिए गए हैं। परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद न हो इसके लिए मृतक की सम्पत्ति में पत्नी, बच्चे और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए, लिव इन के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, युगल की सूचना रजिस्ट्रार माता-पिता या अभिभावक को देगा। यह जानकारी पूरी तरह गोपनीय रहेगी। लिव इन से पैदा बच्चों को भी समान अधिकार दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी को लागू करने के लिए सरलीकरण के मूल मंत्र पर चलते हुए, ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है, साथ ही स्पष्ट नियमावली भी लागू कर दी गई है। पूरा ध्यान रखा गया है कि इसके लिए किसी भी नागरिक को दिक्कत का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि अब प्रदेश में प्रति वर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि धारा 370, तीन तलाक, राम मंदिर को लेकर जितने भी संकल्प लिये गये थे, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे किये गये हैं।
इस अवसर पर यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने यूसीसी नियमावली के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सचिव शैलेश बगोली ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, रेखा आर्या, सौरभ बहुगुणा, राज्यसभा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, यूसीसी नियमावली समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह, प्रो. सुरेखा डंगवाल, मनू गौड़, अजय मिश्रा आदि मौजूद रहे। एवं शासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।