hindi kavita
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साहित्य
पहाड़, नदियां और बादल (हिंदी कविता)
पहाड़/ सह सकते हैं जब तक/ कुछ नहीं कहतेमगर वे ग़ैर ज़रूरी सिर पर चढ़े जाने या छाती पर सवार…
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साहित्य
आज भी (हिन्दी कविता)
• धनेश कोठारी आज भीफिर फूल चढ़ा आए होंगे तुमआदत जो बन गई है तुम्हारीइन्हीं फूलों से शायद लक्ष्मण रेखा…
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साहित्य
क्या कहें? (हिन्दी कविता)
ये दौर हैंजब आप किसीसुबह को ढलती रात के साए की तरह देखते हैंउजली सी रात सेविदा लेते हुए पल…
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साहित्य
लिंगुड़ बेचते लड़कों!
• अनिल कार्कीओ लिंगुड़ बेचते लड़कोंहरे रहनाथोड़ा नरम भीआदम फर्न की कोपलों साजब तुम दुनिया के बारे में जानोगे तुम्हें…
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