नैनीताल: भवाली में बालिका सुरक्षा पर कार्यशाला का आयोजन

भवाली (नैनीताल)। किशोर न्याय समिति, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के तत्वावधान में और महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से “बालिका सुरक्षाः भारत में उसके लिए एक सुरक्षित और सशक्त वातावरण की ओर” विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई।
उत्तराखंड विधिक एवं न्यायिक अकादमी उजाला, भवाली में आयोजित कार्यशाला का उद्देश्य बालिकाओं के खिलाफ हो रही हिंसा की रोकथाम, बाल विवाह और तस्करी पर अंकुश लगाने और बालिकाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए ठोस रणनीति तैयार करना था। इस अवसर पर उत्तराखंड विधिक एवं न्यायिक अकादमी द्वारा तैयार जनरल रूल्स (क्रिमिनल) पुस्तिका एवं किशोर न्याय समिति द्वारा तैयार पॉक्सो एक्ट 2012 पर सूचना पत्र का विमोचन भी किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंद्र, न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, न्यायमूर्ति आलोक माहरा व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय ने किया। मुख्य न्यायाधीश ने महान तमिल कवि सुब्रह्मण्यम भारती की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए बालिकाओं से निर्भीक और आत्मविश्वासी बनने का आह्वान किया।
न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों और संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद यदि आज भी हमें बालिका हिंसा और बाल विवाह की रोकथाम पर चर्चा करनी पड़ रही है, तो यह चिंता का विषय है। उन्होंने सभी हितधारकों से प्रतिबद्धता और लगन के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने पीसीपीएनडीटी एक्ट और एमटीपी एक्ट पर चर्चा की। साथ ही इनके दुरुपयोग पर चिंता जताई। उन्होंने पॉक्सो एक्ट के तहत स्टेटमेंट रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया पर विशेष जोर दिया।
न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय ने जूडिशियरी और कानून लागू करने वाली संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने संविधान के प्रावधानों एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए गए बालिका सुरक्षा से जुड़े निर्णयों पर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया।
समापन सत्र में न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने आशा जताई कि कार्यशाला के निष्कर्षों और सिफारिशों को जमीनी स्तर पर लागू किया जाएगा। चार तकनीकी सत्रों में आयोजित इस कार्यशाला में महिला सशक्तिकरण सचिव चंद्रेश यादव, एनएचएम की डायरेक्टर डॉ. रश्मि पंत, पुलिस अधीक्षक निहारिका तोमर, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, डॉ. मंजू ढौंडियाल, डॉ. संगीता गौड़, सामाजिक कार्यकर्ता सुअदिति कौर और सुकंचन चौधरी आदि ने विचार रखे।