रायवाला (चित्रवीर क्षेत्री की रिपोर्ट)। गंगाभोगपुर में उत्तराखंड सेंटर फॉर पेस्टोरलिस्म और वन गुर्जर ट्राइबल युवा संगठन की ओर से वन गर्जुरों की संस्कृति और जीवनशैली पर आधारित सम्मेलन में पद्मभूषण अवधेश कौशल ने कहा कि उत्तराखंड समेत देश के वनक्षेत्रों में गुर्जरों और घुमंतू पशु पालकों की समस्याओं का समाधान निकाला जाना आवश्यक है।
गंगाभोगपुर मल्ला में आयोजित वन गुर्जरों और घुमंतु पशुपालकों के सम्मेलन में पद्मभूषण अवधेश कौशल ने विचार रखे। कहा कि भले ही वन अधिकार कानूून बना है, परंतु उसका लाभ सबको नहीं मिल पा रहा है। जबकि ऐतिहासिक वन कानून में वनवासियों, आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक समुदाय के वन संसाधनों पर अधिकारों की मान्यता है। जिस पर यह समुदाय रोजगार, निवास और अन्य सामाजिक व सांस्कृतिक जरूरतों के लिए निर्भर हैं।
युवा गुर्जर नेता अमीर हमजा ने कहा कि हमारी संस्कृति और जीवनशैली के संबंध में नई पीढ़ी को भी अवगत कराया जाना चाहिए। कहा कि आज वन कानून के चलते उनके सामने अपने पशुओं को जिंदा रखने और खुद की जिंदगियों को संवारने का संकट खड़ा हो गया है। जिसका समाधान जरूरी है। सम्मेलन में मोहम्मद शाहदात ने सम्मेलन को उत्तराखंड के वन गुर्जरों, घुमंतू पशुपालकों की संस्कृति और जीवनशैली के प्रसार के लिए सार्थक प्रयास बताया।
सम्मेलन में उत्तराखंड के उधमसिंह नगर, नैनीता, हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग आदि जिलों के पशुपालकों की समस्याओं पर भी चर्चा की गई। सम्मेलन में देश के पांच राज्यों उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र ,गुजरात और यूपी से लगभग 300 प्रतिनिधि शमिल हुए। इसमें गुर्जर ट्राईबल युवा संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
इसबीच अमीर हमजा ने बताया कि 27 मार्च को कुनाऊं चौड़ में पशु मेला आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर कासिम कणी, अमित राठी, फैजान कोसवाल आदि मौजूद रहे।