यात्रा-पर्यटन

Kedarnath: 10 मई की सुबह खुलेंगे धाम के कपाट

Breaking News : ऊखीमठ (रुद्रप्रयाग) 08 मार्च 2024। विश्वप्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष शुक्रवार 10 मई को प्रातः 07 बजे खुलेंगे। 05 मई को ओंकारेश्वर मंदिर में भैरवनाथ की पूजा स़पन्न होगी। 06 मई को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी भोग मूर्ति पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से केदार धाम प्रस्थान करेगी। जो कि विभिन्न पड़ावों से होकर 09 मई की शाम धाम में पहुंचेगी।

शुक्रवार को महाशिवरात्रि पर्व पर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में रावल आचार्य व वेदपाठियों ने ओंकारेश्वर मंदिर में विधिविधान से पूजा-अर्चना और पंचांग गणना के बाद केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की। इस दौरान ओंकारेश्वर मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया था।

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बीते यात्राकाल में रिकार्ड तीर्थयात्री केदारनाथ पहुंचे। इस वर्ष भी श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार और मंदिर समिति यात्री सुविधाओ के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रही है।

बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि आज ही भगवान केदारनाथ की पंचमुखी भोग मूर्ति के केदारनाथ धाम प्रस्थान का कार्यक्रम भी घोषित किया गया। बताया कि 06 मई को पंचमुखी मूर्ति प्रथम पड़ाव गुप्तकाशी, 07 को फाटा, 08 मई को गौरीकुंड और 09 मई की शाम केदारनाथ पहुंचेगी। शुक्रवार 10 मई को प्रातः 07 बजे धाम के कपाट खुल जाएंगे।

उन्होंने बताया कि द्वितीय केदार मदमहेश्वर मंदिर लिए पुजारियों को कार्य दायित्व दिया गया। केदारनाथ धाम के लिए शिवशंकर लिंग पूजा का दायित्व संभालेंगे। जबकि मदमहेश्वर में टी गंगाधर लिंग पूजा का दायित्व निभाएंगे। बागेश लिंग अतिरिक्त में रखे गए हैं। शिव लिंग चपटा ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे।

इस अवसर पर सीमांत विकास परिषद के उपाध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट, पंचगाई हकहकूकधारी समेत केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग, किशोर पंवार, वीरेंद्र असवाल, महावीर पंवार, राजकुमार तिवारी, आरसी तिवारी, डॉ. हर्षवर्धन बेंजवाल, औकार शुक्ला, विश्वमोहन जमलोकी, स्वयंबंर सेमवाल, शिव शंकर लिंग,यदुवीर पुष्पवान, रमेश नेगी, प्रमोद बगवाड़ी, विपिन तिवारी, देवानंद गैरोला, देवी प्रसाद तिवारी, कुलदीप धर्म्वाण, विदेश शैव आदि मौजूद रहे।

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