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महाशिवरात्रिः इन योग कालों में साधना है कल्याणकारी, ऐसे करें पूजन

Mahashivratri: भारतीय समाज में महाशिवरात्रि पर्व के दिन आदिदेव शिव की आराधना का बड़ा महत्व है। धर्मप्रेमी इस दिन बनने वाले ग्रहयोग और नक्षत्र, शुभ मुर्हूत आदि का विशेष ध्यान रखकर पूजा अर्चना व्रत आदि का परायण करते हैं। इसवर्ष महाशिवरात्रि का पावन पर्व एक मार्च मंगलवार के दिन है। इसी दिन व्रत भी रखा जाएगा।

ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि इसवर्ष महाशिवरात्रि के दिन साधना के लिए अति विशिष्ट संयोग बन रहा है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र के साथ ही सुबह परिघ नामक योग और दोपहर बाद शिव नाम योग रहेगा। बताया कि इन दोनों ही योग काल में की गई साधना शत्रु विनाशक और कल्याणकारी मानी जाती है।

डॉ. घिल्डियाल के मुताबिक ज्योतिषशास्त्र में आत्मा का कारक सूर्य और मन का कारक चंद्रमा हैं। महाशिवरात्रि के दिन दोनों एक ही राशि शनिदेव के स्वामित्व वाली कुंभ राशि में रहेंगे। इसलिए इस दिन वैदिक पद्धित से यंत्र साधना के माध्यम से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

बताया कि विशेष मुहूर्त व काल में दीर्घायु के लिए महामृत्युंजय शिव यंत्र, पति व पत्नी सुख बाधा निवारण यंत्र, संतान बाधा, शत्रु बाधा निवारण यंत्र और कारोबार में वृद्धि हेतु सर्व मनोरथ सिद्धि यंत्र आदि की साधना उपयोग सिद्ध होगी। कदाचित इस दिन यंत्र सिद्धि न हो सके, तो संकल्प किया जा सकता है। होली की रात्रि में यंत्र सिद्ध होने को भी शुभ फलदायक माना गया है।

विशेष शुभ मुहूर्त
सुबह 9:45 से दोपहर 12:34 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। दोपहर 2:07 से 2:53 तक विजय नाम का मुहूर्त रहेगा। इन दोनों मुहूर्तो में की गई पूजा सर्वश्रेष्ठ फलदायक होती है।

सायंकाल 5:48 से 6:12 तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा। जबकि 6:00 से 7:14 तक संध्या मुहूर्त और रात्रि 11:45 से 12:25 तक निशित काल रहेगा

ऐसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न
आचार्य चंडी प्रसाद बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल में स्नान करें। पंचामृत से भगवान शिव को स्नान कराएं। शिव परिवार स्थापित करें। गणेश नंदी कार्तिकेय और माता पार्वती का पूजन करें। पुरुष ओम रुद्राय नमः और स्त्रियां शिवाय नमः मंत्र का उच्चारण कर जलार्पण करें। इस दिन कम से कम 8 लोटा केसर युक्त जल चढ़ाना शुभ रहेगा। घर में अखंड दीपक जलाएं। चंदन, धतूरा, गन्ने का रस, शहद, पीली सरसों, काले तिल, भांग के पत्ते, निर्गुंडी के पत्ते और बेल पत्र और सफेद पुष्प् शिवपिंडी पर अर्पित करें। बटुक भैरव का ध्यान गुलाब के फूलों से करें। रात्रि में केसर युक्त खीर बनाकर उसका प्रसाद चढ़ाएं और उसे सब को वितरित करें।

(नोट – ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय- सी- 800, आईडीपीएल कॉलोनी, वीरभद्र, ऋषिकेश। मोबाइल -9411153845)

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