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जोशीमठ। बदरीनाथ धाम (Badarinath Dham) का शीतकालीन गद्दीस्थल नृसिंह मंदिर पर भू-धंसाव के चलते खतरा मंडरा रहा है। मंदिर को कभी भी बड़ी क्षति पहुंच सकती है। BKTC के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने GSI निदेशक से भूधंसाव के कारणों का परीक्षण करने का आग्रह किया है।
बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) अध्यक्ष कहा कि पर्यटन व तीर्थाटन के क्षेत्र में प्रसिद्ध ज्योर्तिमठ (जोशीमठ) नगरी बदरीनाथ धाम की शीतकालीन गद्दी स्थल के साथ ही सनातन धर्म का केंद्र बिंदु है। समिति द्वारा कुछ वर्ष पूर्व नृसिंह मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। यह मंदिर हिमाद्रि शैली की वास्तुकला का विशिष्ट उदाहरण है।
बताया कि समिति द्वारा मंदिर जीर्णोद्धार के समय विस्तारीकरण के तहत राफ्ट तकनीकी से 90 मीटर गहरे से दीवार का निर्माण कराया था। यह हिस्सा अब भूधंसाव की चपेट में है। बताया कि इसके अलावा जोशीमठ नगर के अन्य क्षेत्रों में भी भूधंसाव की घटनाएं सामने आई हैं। लिहाजा इसके लिए बचाव की कार्ययोजना तैयार करना जरूरी है।
उन्होंने इस बारे भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (GSI) के निदेशक को पत्र लिखा है। जिसमें बताया कि नृसिंह मंदिर परिसर के निकट भूगर्भीय कारणों से भूधंसाव हो रहा है। भूधंसाव का केंद्र फिलहाल समिति के कर्मचारियों के आवास के आसपास है।
अजेंद्र अजय ने जीएसआई निदेशक से तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा भौगोलिक निरीक्षण के पश्चात परीक्षण रिपोर्ट, आख्या और सुझाव मंदिर समिति को उपलब्ध कराने को कहा है। ताकि मंदिर समिति भूधंसावरोधी कार्ययोजना पर समय रहते कार्य कर सके।