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सिनेमा पर महत्वपूर्ण किताब है ‘पहली पीढ़ी के सितारे’

देहरादून में हुआ कथाकार सुरेश उनियाल की नई किताब का विमोचन

देहरादून। मेरी पैदाइश भले ही देहरादून में हुई हो लेकिन इस शहर को जिया सुरेश उनियाल ने है। उनसे परिचय बहुत पुराना है। उनकी इस नई किताब का मैं स्वागत करता हूं। सुरेश उनियाल ने इस किताब में सिनेमा के जिस जमाने का जिक्र किया है, वह एक हड़बड़ाया हुआ समय था। उस दौर में फिल्मों में कहानी होती थी। दर्शकों की पसंद नायक को स्टार बना देती थी। लेकिन यह आसान नहीं था। सुरेश उनियाल की किताब इसी पर बात करती है, यह एक महत्वपूर्ण किताब है।

यह बात देहरादून में सुरेश उनियाल की नई किताब ’पहली पीढ़ी के सितारे’ के विमोचन पर वरिष्ठ कथाकार सुभाष पंत ने कही। कथाकार जितेंद्र शर्मा ने कहा कि यह किताब हमें उस गुजरे समय की ओर ले जाती है, जब सिनेमा एक आकर्षण था। किताब उस पहली पीढ़ी के सितारों की जिंदगी को बखूबी हमारे सामने रखती है।

फिल्मों के जानकार मनमोहन चड्डा ने कहा कि सिनेमा में हिंदी में लिखी कम किताबें ही देखने को मिलती हैं, इसलिए भी इस किताब का स्वागत किया जाना चाहिए। समदर्शी बड़थ्वाल ने कहा कि बातचीत की भाषा में लिखी यह एक सरल किताब है, जो लुभाती है। कथाकार नवीन नैथानी ने कहा कि यह एक दिलचस्प किताब है। जितेन ठाकुर का कहना था कि फिल्मी दुनिया के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन ये किताब सितारों के पर्दे के पीछे के सच को भी सामने लाती है।

दिनेश जोशी ने कहा कि किताब के सभी शीर्षक आकर्षित करते हैं, जो मौलिक हैं। जितेन भारती ने कहा कि सिनेमा से इतर भी सितारों की एक अलग दुनिया होती है, यह किताब इस बात की गवाह है। शशि भूषण बडोनी ने कहा कि प्रसिद्ध चित्रकार राजकमल के बनाए स्केच इस किताब का विशेष आकर्षण हैं। अरुण असफल ने कहा कि ये किताब बेहद रोचक है, जो सितारों के संघर्षों की कहानी भी बयां करती है।

लेखक सुरेश उनियाल ने कहा कि ’पहली पीढ़ी के सितारे’ में वे सब सितारे हैं, जिन्हें सिनेमा के दर्शकों ने जगह दी। सिनेमा पर उन्होंने अपने कई अनुभव साझा किए। विमोचन समारोह का संचालन राजेश सकलानी ने किया और विस्तार से सिनेमा पर अपनी बात भी साझा की। मौके पर काव्यांश प्रकाशन के प्रबोध उनियाल, राजेन्द्र गुप्ता, विजय गौड़ और आनंद दीवान ने भी अपने विचार रखे।

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