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Astrology: 18 साल बाद 2 राशियों में किया राहु-केतु ने प्रवेश, जानें प्रभाव

जातकों के निजी जीवन के अलावा देश-दुनिया में भी रहेगी व्यापक हलचल

Astrology: गतिमान अप्रैल महीने में सौरमंडल में ग्रहों का राशि परिवर्तन जातकों के साथ ही देश दुनिया पर बड़ा असरकारक माना जा रहा है। आज राहु और केतु वक्री चाल से एक राशि से दूसरी राशि में प्रविष्ट हो गए हैं। बड़ी बात कि राहु और केतु का मेष और तुला राशि परिवर्तन 18 साल बाद दोबारा से हो रहा है। जिसका जातकों के साथ ही प्रदेश, देश और दुनिया पर व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

ख्यातिलब्ध ज्योतिषाचार्य डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि सौरमंडल में शनि ग्रह के बाद राहु व केतु ही ऐसे ग्रह हैं जो सबसे ज्यादा दिनों तक किसी एक राशि में विराजमान रहते हैं। शनि जहां ढाई साल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं तो वहीं राहु-केतु 18 महीनों (डेढ़ वर्ष) के बाद उल्टी चाल से चलते हुए राशि बदलते हैं। खास बात कि आज राहु और केतु 18 साल बाद दोबारा से मेष और तुला राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं और तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह है। मंगल और राहु जहां एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं। वहीं केतु और शुक्र ग्रह एक दूसरे के प्रति सम भाव के माने गए हैं।

डॉ घिल्डियाल के अनुसार गतिमान अप्रैल माह में शनि, गुरु और राहु-केतु काफी अंतराल के बाद राशि बदल रहे हैं। राहु-केतु ने करीब 18 महीनों के बाद राशि परिवर्तन किया है। आज 12 अप्रैल मंगलवार को सुबह 10ः36 बजे राहु और केतु अपनी भ्रमण की राशि में बदलाव किया है। बताया कि राहु-केतु दोनों को ही छाया ग्रह माना गया है। ये हमेशा वक्री यानि उल्टी चाल से चलते हैं। आज राहु मेष में और केतु तुला राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इससे पूर्व राहु वृषभ और केतु वृ्श्चिक राशि में मौजूद रहे।

आचार्य चंडी प्रसाद ने बताया कि इन दोनों ही ग्रहों के राशि परिवर्तन का भूमंडल पर बहुत व्यापक रहेगा। देश और दुनिया में राजनीति से लेकर फिल्म जगत तक में खासी हलचल रह सकती है। बड़े राजनीतिक निर्णय भी सामने आ सकते हैं। राहु सट्टा और शेयर मार्केट का कारक भी है, इसलिए वहां भी खासा उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। इसके अलावा जातकों की व्यक्तिगत कुंडलियों के आधार पर अलग-अलग अच्छे और बुरे असर भी रहेंगे।

देश-दुनिया पर असर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु-केतु का जब भी राशि परिवर्तन होता है, तब इसका प्रभाव न सिर्फ सभी जातकों पर पड़ता है बल्कि देश-दुनिया पर भी इसका प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। राहु-केतु के गोचर से प्राकृतिक उथल-पुथल होने की आशंका रहती है। पृथ्वी पर गर्मी का प्रकोप बढ़ने के साथ वर्षा कमी होती है। एक-दूसरे देशों में तनाव बढ़ता है। जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है।

12 राशियों पर असर
राहु-केतु के गोचर से सभी राशि के जातकों पर विशेष प्रभाव रहेगा। जातक की कुंडली में राहु-केतु की दशा के आधार पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसबार राहु-केतु के राशि बदलने के चलते मोटे तौर पर मेष, वृषभ, कर्क, कन्या और मकर राशि वालों को सावधानी बरतनी पड़ेगी। इन राशियों पर राहु-केतु का प्रभाव अच्छा नहीं रहेगा। जबकि सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु और कुंभ राशि वालों के लिए यह गोचर शुभ और लाभ दिलाने वाला साबित होगा। धन लाभ और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी। उधर, मिथुन और मीन राशि वालों पर इस राशि परिवर्तन का कोई विशेष प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा।

बुरे प्रभावों का उपाय
डॉ घिल्डियाल का कहना है कि राहु केतु के प्रभाव को मात्र राशि की बजाए जातक की कुंडली के अनुसार से आंका जा सकता है। जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता। बुरे प्रभावों को कम करने के लिए काले कंबल और जूते का दान अच्छा रहेगा। राहु-केतु की विशेष पूजा के द्वारा बुरे प्रभावों को दूर करने के साथ ही बड़े लाभ का रास्ता भी प्रशस्त होता है।

(नोट – ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय- सी- 800, आईडीपीएल कॉलोनी, वीरभद्र, ऋषिकेश। मोबाइल -9411153845)

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