नाग पंचमी के दिन रखें इन बातों का खास ध्यान
मंगलवार को विधि विधान से करें नाग देवता की पूजा, बन रहा अति विशिष्ट संयोग
Nag Panchami Day: हिंदू धर्म में नाग देवता की पूजा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में हर वर्ष श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इसबार मंगलवार दो अगस्त के दिन नाग पंचमी का पर्व है। ज्योतिषीय आकलन के अनुसार नाग पंचमी पर अति विशिष्ट संयोग बन रहा है। जो कि मानव समाज के लिए लाभकारी भी हो सकता है। सो, आइए जानते हैं कि नाग पंचमी की पूजा कब और कैसे करें?
ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं। कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा के साथ ही सर्पों को दूध पिलाने की भी परंपरा है। इस दिन महिलाएं नाग देवता की पूजा अर्चना करती हैं। भगवान श्री हरि विष्णु के शेषनाग में विराजित होने पर इस पर्व को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। बताते हैं कि मंगलवार को नाग पंचमी के दिन अति विशिष्ट संयोग बन रहा है। इस दिन मंगल ग्रह राहु के साथ मिलने पर अंगारक योग बना रहा है।
शुभ मुहूर्त
मंगलवार 2 अगस्त को नाग पंचमी का पूजा मूहूर्त सुबह 06 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 41 मिनट तक है।
पूजा मन्त्र
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले.
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः.
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः।।
अर्थ- इस संसार में, आकाश, स्वर्ग, झीलें, कुएं, तालाब तथा सूर्य-किरणों में निवास करने वाले सर्प, हमें आशीर्वाद दें और हम सभी आपको बार-बार नमन करते हैं।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्.
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्.
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः.
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
अर्थ- नौ नाग देवताओं के नाम अनन्त, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कम्बल, शङ्खपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक तथा कालिया हैं. अगर रोजाना सुबह नियमित रूप से इनका जप किया जाए, तो नाग देवता आपको सभी पापों से सुरक्षित रखेंगे और आपको जीवन में विजयी बनायेंगे।
यह रखें ध्यान
नाग पचंमी के दिन व्रत रखने के अलावा नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मंत्रों का जाप भी लाभकारी है।
नाग पंचमी के दिन सुई धागे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। लोहे के बर्तन में खाना बनाना चाहिए।
कुंडली में राहु-केतु की दशा है तो सांपों की पूजा जरूर करें। नाग देवता को पीतल के बर्तन से दूध चढ़ाएं।
जहां सांपों का बसेरा हो, ऐसी भूमि को नाग पंचमी के दिन नहीं खोदना चाहिए। इस दिन सांपों को मारना महापाप है।
आचार्य घिल्डियाल बताते हैं कि कालसर्प की दशा से पीड़ित जातकों के लिए नाग पंचमी का पर्व बेहद लाभकारी हो सकता है। अगर वह विधि विधान से नाग पंचमी की पूजा अर्चना करें। वह उपरोक्त मंत्रों का जाप कर अपने भविष्य को बदल सकते हैं।
(ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। मोबाइल -9411153845)