
शिखर हिमालय डेस्क
रायवाला। ग्राम पंचायत हरिपुरकलां जीआईजेड जर्मनी, सीईसी नई दिल्ली और राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की ओर से ‘मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकथाम’ विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला में इंडो-जर्मन मानव-वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण परियोजना के तहत समुदाय स्तर पर प्राइमरी रिस्पान्स टीम (पीआरटी) द्वारा मानव वन्यजीव संघर्ष के प्रभावों को कम करने के उपायों पर चर्चा की गई। जीआईजेड के तकनीकी सलाहकार डॉ. प्रदीप मेहता ने बताया कि यह पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार और उत्तराखंड वन विभाग उत्तराखंड, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में संचालित किया जा रहा है। इसके तहत पार्क से सटे 22 गांवों में ग्रामस्तर पर पीआरटी का गठन और उनका प्रशिक्षण कराया जाना है।
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ मेहता, केएन बलोदी और डॉ. सुधा नौटियाल द्वारा पर्यावरणीय सेवाओं, वन्यजीवों के व्यवहार, मानव वन्यजीव संघर्ष के कारणों और रोकथाम के आवश्यक उपायों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने जन जागरूकता पर भी जोर दिया।
इस अवसर ग्राम प्रधान गीतांजलि जखमोला ने क्षेत्र की महत्वपूर्ण जानकारियों को साझा किया। प्रतिभागियों द्वारा पंचायत स्तरीय मानव वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण कार्ययोजना भी तैयार किया गया।
कार्यशाला में शशांक नेगी, मनोज जखमोला, ईको विकास समिति के अध्यक्ष धर्मेन्द्र ग्वाड़ी, पंचायत सदस्य दीपमाला, शिवानी गोस्वामी, विनय थापा सहित स्वयं सहायता समूहों, ईको विकास समिति और युवक मंगल दल के सदस्यों ने प्रतिभाग किया।