देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल समेत विभिन्न संगठनों ने राज्य के मसलों को लेकर विधानसभा कूच कर प्रदर्शन किया। जिन्हें पुलिस ने विधानसभा से पहले बैरिकेडिंग लगाकर मार्च को रोका। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से नोकझोंक भी हुई। उन्होंने ज्ञापन के जरिए अंकिता हत्याकांड, यूकेएसएसएससी, विधानसभा बैकडोर घपला और अन्य भर्ती प्रकरणों में घोटाले की जांच की मांग उठाई।
बुधवार को नेहरु कॉलोनी स्थित फव्वारा चौक से यूकेडी, बेरोजगार संघ, युवा मोर्चा, महिला मोर्चा आदि संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं और युवाओं ने विधानसभा के लिए मार्च शुरू किया। जिन्हें पुलिस ने विधानसभा के पास बैरिकेडिंग पर रोक दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार से भर्ती घोटालों और अंकिता को न्याय देने को लेकर जमकर नारेबाजी की। बैरिकेडिंग पर नोकझोंक भी हुई। जिसके बाद वह वहीं धरने पर बैठ गए। उन्होंने मौके पर मौजूद मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा।
यूकेडी मीडिया प्रकोष्ठ प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में सिंचाई विभाग में 228 पदों पर भर्ती, अंकिता हत्याकांड, यूकेएसएसएससी, विधानसभा घोटाले, सचिवालय और अन्य विभागों में भर्ती घोटालों की सीबीआई की मांग की गई है। आरोप लगाया कि भाजपा सरकार चुनाव के वायदों के उलट काम कर रही है। अंकिता के हत्यारों को बचाया जा रहा है।
बेरोजगार संघ अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि 22 साल बाद भी हमें वह राज्य नहीं मिला, जिसके लिए कुर्बानियां दी गई थी। अब तक की सरकारों ने केन्द्र के संरक्षण में माफियाओं से मिलकर संसाधनों का दोहन किया। जल, जंगल, जमीन के अधिकार के बाद हमारे बाकी अधिकार भी छीन लिए गए हैं। स्थायी राजधानी के बिना उत्तराखंड राज्य उत्तरप्रदेश का उपनिवेश बनकर रह गया है।
केंद्रीय उपाध्यक्ष सुनील ध्यानी ने अंकिता भंडारी मामले की जांच सीबीआई या उच्च न्यायालय न्यायाधीश से कराने के साथ तथाकथित वीआईपी का नाम उजागर करने की भी मांग की। युवा मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष लूशुन टोडरिया ने यूकेएसएसएससी, विधानसभा बैकडोर भर्ती समेत सभी प्रकरणों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
महिला मोर्चा की केंद्रीय अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने ने हेलंग में घसियारियों के साथ बदसलूकी से जुड़े अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई और घसियारियों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने की मांग उठाई। युवा मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र बिष्ट ने सरकार से सीमांत राज्य में सामरिक दृष्टि से पलायन रोकने, गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग की।