Uttarakhand CM Selection: उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान सुर्खियों में आ गया है। जिसमें उन्होंने खुद को इस सीएम पद की दौड़ से लगभग अलग कर लिया है। जिसके बाद सियासी हलकों में उनके बयान के मायने निकाले जाने लगे हैं। ऐसे में रायशुमारी के लिए उत्तराखंड आ रहे दो पर्यवेक्षक हाईकमान को क्या रिपोर्ट सौंपेंगे? क्या उसमें टीएसआर की सलाह को भी तवज्जो मिलेगी? यह देखना दिलचस्प होगा।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, तो मुख्यमंत्री पद की बात करना भी सही नहीं है। दूसरा उन्होने विधायकों में से ही सीएम चुनने की सलाह सामने रखी है। उनकी यही बात सबसे ज्यादा सुर्खियों में है।
सीएम पद से हटने के बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया। बाकायदा हाईकमान को इस बारे पत्र भी भेजा। जिसके बाद डोईवाला सीट पर उनके करीबी बृजभूषण गैरोला को मैदान में उतारा गया। जीत के बाद गैरोला का बयान आया कि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम बनते हैं, तो वह अपनी सीट छोड़ने का तैयार हैं। जिससे लगा कि टीएसआर भी सीएम पद की दौड़ में हैं। लेकिन उन्होंने खुद को इस दौड़ से भी अलग कर लिया है।
जिसके बाद सियासी हलके में चर्चा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत का पहले चुनाव और सीएम पद से हटने के कारण क्या हो सकते हैं? दूसरा उनका विधायकों में से ही सीएम चुनने की सलाह आखिर किस ओर इशारा कर रही है? इसके जवाब आने शायद अभी बाकी ही रहेंगे। क्योंकि वह खुद और पार्टी दोनों ही तरफ से इस राज के खुलने के फिलवक्त आसार नहीं दिख रहे।
मगर, एक बात जो सामने आ रही है वह ये कि टीएसाआर का बयान गैर विधायकों के सीएम बनने के मंसूबों को ठिठका सकता है। साथ ही निर्वाचित विधायकों में से कुछ लोगों की दावेदारी को मजबूती दे सकता है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि संभवतः यहां भी वह अपने किसी करीबी को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहते हों!
लिहाजा, विधायकों के बीच रायशुमारी और हाईकमान की चाह के बाद क्या रिजल्ट सामने आता है, यह अगले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। जिसपर सभी की नजर बनी हुई है।