शिक्षक, राजनेता और पत्रकार रहे, 88 वर्षीय कॉमरेड बच्चीराम कंसवाल 1960 के दशक में युवावस्था में ही वामपंथी आंदोलन में शामिल हो गए थे। 1970 के दशक में शिक्षक की नौकरी छोड़ उत्तर प्रदेश प्रदेश विधान परिषद (शिक्षक स्नातक सीट) का चुनाव लड़ा और मात्र 27 वोट से चुनाव हारे थे।
टिहरी से एक बार एमएलए और एक बार एमपी का चुनाव भी लड़े। उनके सामाजिक राजनीतिक जीवन की सक्रियता गांव से ही शुरू हुई थी। उनका गांव टिहरी जिले में टिहरी उत्तरकाशी मोटर मार्ग पर स्थित मरोड़ा गांव है, जो कि सुप्रसिद्ध गांधीवादी पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का भी गांव है।
वह मरोड़ा गांव के प्रधान भी रहे। 1960 के दशक में ही जब कम्युनिस्ट पार्टी संयुक्त थी, तब सदस्य बन गए थे और 1964 में विभाजन के बाद से आजीवन सीपीएम में सक्रिय रहे। जिला सचिव के बाद उत्तराखंड सचिव मंडल के सदस्य भी रहे। पार्टी और वामपंथी आंदोलन से बाहर भी एक प्रखर वक्ता के रूप में जाने जाते रहे। आखिरी कुछ वर्ष छोड़कर वे लगातार पत्रकारिता में भी सक्रिय रहे और अनेक वर्ष तक नवभारत टाइम्स के संवाददाता भी रहे।
कॉमरेड कंसवाल अपने पीछे पत्नी जगदेश्वरी देवी, दो पुत्र और एक पुत्री को छोड़ गए। बड़े पुत्र डॉ मदन कंसवाल हाल ही में टीएचडीसी इंडिया से वैज्ञानिक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और अब गांव में ही एक होम स्टे का संचालन करते हैं। जबकि छोटे पुत्र प्रमोद कंसवाल पत्रकार और चर्चित कवि हैं। पुत्री शिक्षिका हैं।
साभार- वरिष्ठ पत्रकार महिपाल नेगी के फेसबुक वाल से