
शिखर हिमालय डेस्क
ऋषिकेश। कोविड-19 महामारी के दौर में अधिकांश लोग मानसिक तनाव के शिकार रहे। उन्हें इस दौर से बाहर निकालने के लिए जागरूकता के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना जरूरी है। देश के स्वास्थ्य संस्थानों और चिकित्सकों को इस दिशा में अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
यह बात एम्स ऋषिकेश के अतिरिक्त निदेशक प्रो. अरविंद राजवंशी ने सोसायटी फॉर रुरल मेंटल हेल्थ एवं मनोरोग विभाग एम्स की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कही। इससे पूर्व उन्होंने लक्ष्मणझूला स्थित डिवाइन रिजॉर्ट में ‘मैंटल हेल्थ इन रिमोट एरिया ड्यूरिंग कोविड-19 पैनडेमिक लाइक सिचुएशन’ विषय पर आधारित 6वीं वार्षिक संगोष्ठी का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ किया।
प्रो. राजवंशी ने कहा कि कोरोनाकाल में बहुत से लोगों ने अपनो को खोया, उनकी नौकरियां गई, आर्थिक नुकसान उठाया, जिससे अधिकांश लोग तनाव के शिकार रहे हैं। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत बढ़ गई है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे अपनी बीमारी को छुपाने की बजाए अपने करीबियों और चिकित्सकों से खुलकर बताएं। कहा कि अन्य शारीरिक रोगों की तरह मानसिक रोग का उपचार भी संभव है।
सोसायटी के पैटर्न एवं स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक-सीईओ डा. राजीव गुप्ता ने कहा कि महामारी के दौरान लोगों में असमानताएं बढ़ी है। उनके जीने के तौर तरीकों में भी बदलावा आया है। कहा कि मानसिक बीमारियों को एक ‘स्टिगमा’ के तौर पर देखा जाता है। लोग इसपर बात करने और इलाज से कतराते हैं। इस स्टिगमा को तोड़ना होगा। कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी हमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने और लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
संस्था के अध्यक्ष डा. वीर सिंह यादव ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट बढ़ाए जाने की जरूरत है। हम स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का सिर्फ 2 प्रतिशत ही खर्च करते हैं। बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी मनोरोग विशेषज्ञों, नर्स और काउंसलर की कमी है। देश के सभी अस्पतालों में मानसिक उपचार व्यवस्थाएं नहीं हैं। लिहाजा, सरकार को स्वास्थ्य बजट बढ़ाने के अलावा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गौर करना होगा।
संगोष्ठी में मनोरोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. डा. रवि गुप्ता, एम्स दिल्ली मनोरोग विभागाध्यक्ष प्रो. डा. आरके चड्ढा और सोसायटी के सचिव एसोसिएट प्रो. डा. विनय कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदा स्थिति पर जानकारी साझा की।
इस अवसर पर गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मार्कंडेय आहुआ, डा. प्रीति सिंह, डा. पुरूषोत्तम, डा. प्रेम मुंजाल, डा. अजय मल्होत्रा, डा. विशाल धीमान, डा. रमेश बत्रा, डा. सिद्धार्थ आर्य, डा. अंजू यादव, डा. पीयूष, डा. ईशा बत्रा, डा. शैफाली, डा. सोनम, डा. तफीम, डा. प्रतिष्ठा, डा. मुग्धा आदि मौजूद थे।