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Uttarakhand: बिजली संकट को हरदा ने बताया सरकार की लापरवाही

सीनियर सिटीजन के नाते ध्यानाकर्षण के लिए चटख धूप में रखा एक घंटे का मौन उपवास

Power Crisis in Uttarakhand: देहरादून। प्रदेश में बिजली संकट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने हरीश रावत ने चटख धूप में एक घंटे तक मौन रखा। उन्होंने बिजली संकट को राज्य सरकार की लारवाही बताते हुए कहा कि लोगों के ऊपर जानबूझकर बिजली कटौती थोपी गई है। हरदा ने मौन उपवास को राजनैनिक के बजाए ध्यानाकर्षण के लिए एक निजी प्रयास बताया।

पूर्व सीएम हरीश रावत ने मौन उपवास को लेकर इंटरनेट पर की गई पोस्ट में कहा कि राज्य में सरकार की लापरवाही की वजह से जो विद्युत संकट पैदा हुआ, बिजली मिल नहीं रही है। अघोषित तरीके से घंटों-घंटों तक बिजली नहीं आ रही है। इंडस्ट्रीज परेशान हैं, व्यवसायी परेशान हैं, अध्ययनरत छात्र परेशान हैं। लगभग 8 से 10 घंटे तक की कटौती ग्रामीण क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों में नजर आ रही है।

पोस्ट में लिखा कि मैंने इसके खिलाफ पहले भी आवाज बुलंद की थी, आज मेरा एक निजी प्रयास है, एक सीनियर सिटीजन के नाते, यह मेरा गैर राजनीतिक प्रयास है। इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। ताकि सरकार अपनी कमियों को देख सके। विद्युत व्यवस्था में जो अव्यवस्था पैदा हो रही है उसको दुरुस्त करें।

कितनी अजीब सी बात है गैस प्लांटों से जो बिजली मिलती थी, उसका इनको आभास था। लेकिन उसको भी दुरूस्त नहीं कर पाये। कई हमारी परियोजनाएं जिनको यदि साधारण तरीके समय पर मरम्मत कर ली होती, तो इस समय पानी की उपलब्धता थी उनमें बिजली बढ़ सकती थी।

यह ऐसा समय है जब यूपीसीएल को बाहर से भी बिजली खरीद करके व्यवस्था रखनी चाहिए थी। यह जानबूझ करके लोगों के ऊपर बिजली की कटौती थोपी गई है। बिजली के दाम लगातार बढ़ाये हैं। अब बिजली की कटौती और उधर वनों में आग लगने की घटनाएं निरन्तर बढ़ रही हैं।

सरकार, कहीं भी ऐसा प्रयास करते हुए नहीं दिखाई दे रही है कि वनाग्नि को नियंत्रित किया जा सके। जंगलों में जहां पानी के स्रोत हैं, यदि वो जंगल फूक जाएंगे तो उससे पानी के स्रोतों पर भी बुरा असर पड़ेगा। पानी की कठिनाई- पेयजल संकट से राज्य पहले ही जूझ रहा है। वह पेयजल संकट मई-जून में और अधिक हो जाएगा।

सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए मैंने यह 1 घंटे का मौन उपवास, एक प्रकार का 1 घंटे का तप ही समझ लीजिए इस चटक धूप में बैठकर के किया है। मैं विशुद्ध रूप से सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। बाकि राजनैतिक रूप से हम लोगों को बिजली सत्याग्रह के विषय में सोचना चाहिए और उसको पार्टी एक कार्यक्रम के रूप में संचालित कर सकती है।

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