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Uttarakhand: गर ऐसा न होता, तो भाजपा होती ’60 प्लस’

Uttarakhand Politics: उत्तराखंड में मिथक को तोड़कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई। बावजूद तब भी जहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, वहां इसकी वजहों की पड़ताल कराई गई है। मीडिया रिपोर्ट्स में मुताबिक पार्टी को कई सीटों पर अपनी हार के प्रमुख कारण मिल भी गए हैं। जबकि कईयों पर रिपोर्ट्स के आने का इंतजार किया जा रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि गर हार के यह कारण नहीं होते तो पार्टी का 60 प्लस का स्लोगन निश्चित ही कामयाब होता।

बता दें कि भाजपा ने 47 सीटें जीतकर सत्ता पर दोबारा कब्जा किया है। मगर शेष 23 सीटों पर हार के कारणों को जुटाने की कवायद भी नहीं छोड़ी। इसके लिए पार्टी नेताओं को समीक्षक की जिम्मेदारी गई। जिन्हांने ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं ने बातचीत की और उसी आधार पर समीक्षा रिपोर्ट तैयार की।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई विधानसभा सीटों की समीक्षा रिपोर्ट पार्टी को मिल गई है। जबकि कुछ सीटों की रिपोर्ट के आने का इंतजार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अब तक मिली रिपोर्ट्स में पार्टी को प्रत्याशियों के प्रति एंटी इनकंबेंसी, भितरधात और संवादहीनता को प्रमुख वजह माना गया है।

यह भी कि इन वजहों के चलते पार्टी को खटीमा, जसपुर, पिरान कलियर, हल्द्वानी, नानकमत्ता, हरिद्वार ग्रामीण, यमनोत्री, ज्वालापुर, झबरेड़ा, भगवानपुर आदि में हार से दो चार होना पड़ा। बताया जा रहा है कि जिन सीटों पर भितरघात सामने आया है, वहां इससे जुड़े लोगों के खिलाफ पार्टी एक्शन ले सकती है।

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