Uttarakhand Budget: देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धामी सरकार के पहले बजट को निराशाजनक बताया है। कहा कि बजट केवल काल्पनिक, केद्रीय सहायता आधारित या बाह्य वित्त पोषित योजनाओं के भरोसे बनाया गया है। हरदा ने कहा कि मौजूदा सरकार में पैसा खर्च करने का हौसला ही नहीं है। गैरसैंण के मामले में वित्त मंत्री ने पूर्व सीएम के 25 हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा पर आंख, कान और दिल तीनों बंद रखे।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने यह बात अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखी हैं। उन्होंने बजट पर कल विस्तार से ब्यौरा रखने की बात को भी पोस्ट के आखिरी में लिखा है।
बकौल हरीश रावत, उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद-अग्रवाल ने अपने पहले ही बजट में यह सिद्ध कर दिया कि उनके आगे के बजट भी इस बजट की तरीके से धोखेबाज बजट होंगे। जिस सरकार ने अपने पिछले बजट को ही खर्च न किया हो, उसकी बजट की राशि कितनी है और किस क्षेत्र में है, वह महत्वपूर्ण नहीं रह जाता! क्योंकि इस सरकार में पैसा खर्च करने का हौसला भी नहीं है। बजट केवल काल्पनिक, केंद्रीय सहायता आधारित या वाह्य वित्त पोषित योजनाओं के भरोसे बनाया गया है। आंतरिक संसाधनों के संवर्धन पर मौन साधना ही वित्त मंत्री ने बेहतर समझा है।
जिला योजनाओं का स्वरूप क्या होगा? क्या वह पहले की तरीके से घटती जाएगी, इसका भी कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता है! रोजगार मूलक योजनाओं की कोई झलक इस बजट में नहीं दिखाई देती है। कुछ काल्पनिक चित्र पर्यटन की योजनाओं का जरूर खीचने का प्रयास किया गया है, जिसमें टिहरी झील के विकास की बात भी कही गई है। मगर वह सब, यह होगा तो वह होगा पर आधारित है। इसलिए रोजगार मूलक क्षेत्र लगभग अछूता है, बेरोजगारी भत्ते पर सरकार ने चुप्पी साधी है।
गैरसैंण-भराड़ीसैंण इस सरकार के लिए गैर ही बना रहेगा, यह भी इस बजट से साफ हो गया है। इनके पूर्व मुख्यमंत्री ने 25 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की बात कही थी भराड़ीसैंण के लिए, उस विषय में वित्त मंत्री ने पूरी तरीके से आंख, कान और दिल, तीनों बंद करके रखे हैं।
कुल मिलाकर के धामी सरकार का पहला बजट निराश करने वाला लगा। इसमें उत्तराखंड के सम्मुख जो सामूहिक चुनौती है, आय संवर्धन की उस दिशा में भी कोई हाथ-पांव चलाते हुए वित्त मंत्री नहीं दिखाई दिए रहे हैं।