यात्रा-पर्यटन

द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद

रूद्रप्रयाग। पंच केदारों में प्रसिद्ध द्वितीय केदार मदमहेश्वर (Madmaheshwar Temple) के कपाट शीतकाल के लिए आज बुधवार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि पूर्व भाद्रपदा नक्षत्र कुंभ राशि में सुबह साढ़े आठ बजे बंद हो गए हैं। करीब 700 श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। इस अवसर पर मंदिर को पांच क्विंटल फूलों से सजाया गया था।

बुधवार भोर में चार बजे मदमहेश्वर मंदिर खुलने के बाद अभिषेक व जलाभिषेक पूजा हुई। साढ़े सात बजे तक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। इसके बाद पुजारी बागेश लिंग ने कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की। भगवान शिव और भैरव नाथ की पूजा- अर्चना संपन्न करने के बाद भगवान मदमहेश्वर के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया गया।

इसके बाद ममहेश्वर की चलविग्रह डोली के सभामंडप से बाहर आते ही साढे़ आठ बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद मंदिर की परिक्रमा करते हुए चल विग्रह डोली प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए रवाना हुई। जो कि 23 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी, 24 नवंबर को गिरिया और 25 नवंबर को पंच केदार के गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। इसी दिन मदमहेश्वर मेला आयोजित किया जाएगा।

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मदमहेश्वर की यात्रा को सुगम बनाने के लिए मंदिर समिति लगातार प्रयासरत है। मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि चलविग्रह डोली के पड़ावों पर तैयारियों के लिए निर्देश दिए गए हैं। कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि इस वर्ष 12,777 श्रद्धालुओं ने भगवान मदमहेश्वर के दर्शन किए हैं।

इस अवसर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, डोली प्रभारी पारेश्वर त्रिवेदी, मृत्युंजय हीरेमठ, सूरज नेगी, दिनेश, बृजमोहन, संदीप नेगी, बृजमोहन कुर्मांचली के अलावा गौंडार गांव के हकहकूक धारी आदि मौजूद थे।

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