Uttarakhand: उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दोबारा कमान संभालने के लिए हर जुगत में लगे दिख रहे हैं। चुनाव परिणाम आने से पहले ही धामी मंदिरों की शरण में पहुंचने लगे थे, अब वह मंदिरों के अलावा राज्य के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के द्वार जाने में भी पीछे नहीं हैं। उनकी यह कोशिशें क्या रंग लाएंगी, यह अगले एक-दो दिन में साफ हो जाएगा कि उन्हें राज्य का सबसे बड़ा पद फिर से मिलता है या नहीं।
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव का आगाज होने से पहले ही बेहतर परफारमेंश के मद्देनजर धामी को सीएम का चेहरा घोषित कर दिया था। यहां तक कि चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में 60 प्लस के नारे को किनारे कर ‘मोदी धामी सरकार’ के स्लोगन को जबरदस्त तरीके से उछाला गया। जिसका नतीजा बेहतर रहा। पार्टी को 2017 के मुकाबले भले ही 10 सीटें कम हासिल हुई, लेकिन इसे मोदी धामी सरकार का करिश्मा ही माना गया।
मतगणना के दिन जिस तरह से भाजपा बहुमत की तरफ बढ़ रही थी, तब तक तय था कि पुष्कर सिंह धामी का ही दोबारा राजतिलक होगा। मगर, उनके अपनी पारंपरिक सीट खटीमा से चुनाव हारने के बाद जहां पार्टी नए सीएम के मामले में फंस गई, वहीं धामी के सामने भी राजनीतिक संकट गहरा गया। नतीजा, तमाम अन्य दावेदारों ने एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया। इसबीच धामी को भी दिल्ली तलब किया गया।
धामी जैसे ही दिल्ली से लौटे सीधे गोलज्यू देवता के मंदिर पहुंचे। इससे पहले उन्होंने जौनसार में महासू के दरबार में भी मत्था टेका। जबकि मतगणना से पहले भी वह मंदिरों के दर्शनों को जाते रहे। अब उन्होंने पार्टी वरिष्ठ नेताओं से मिलना भी शुरू कर दिया है। दिल्ली दरबार से लौटने के बाद उन्होंने पूर्व सीएम और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की। जिनका नाम भी सीएम को लेकर चर्चाओं में है। आज उन्होंने पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री रहे जनरल बीसी खंडूरी से होली के बहाने मुलाकात की।
उनकी इन मुलाकातों को भले ही त्योहार और शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है। लेकिन राजनीति में कहा जाता है कि हर मुलाकात के अपने मायने होते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के साथ सियासी जानकारों की मानें, तो धामी की यह कोशिशें सीएम पद के इर्दगिर्द ही हैं। बताया जा रहा है कि सीएम के नाम का ऐलान होने से पहले वह हर मुमकिन कोशिशों को साध लेना चाहते हैं। सो, उनकी कोशिशें क्या रंग लाती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।