
उत्तराखंड की सियासत में विधानसभा चुनाव की चर्चाएं हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) के बिना अधूरी हैं। इसीलिए वह हमेशा र्खियों में ही रहे। बात चाहे उनके बयानों की रही हो या फिर उनके दलों में अदला बदली की। मगर, इसबार भाजपा से निष्कासन के बाद वह कांग्रेस (Congress) में शामिल हुए, तो लग रहा था कि यहां भी वह अपनी हर चाहत को पूरी करेंगे। मगर, कांग्रेस ने सिर्फ उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को ही टिकट दिया। सो, उन्हें टिकट नहीं मिलने पर सवाल लाजिमी थे। जिससे कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने आज कुछ पर्दा उठा दिया।
मीडिया ने परिवारवाद को लेकर जब हरीश रावत और उनकी बेटी अनुपमा रावत को टिकट देने और हरक सिंह को इससे वंचित रखने पर सवाल किए, तो देवेंद्र यादव का कहना था कि हरीश रावत और अनुपमा को उनकी काबलियत के आधार पर टिकट दिया गया। वह दोनों ही योग्य कैंडिडेट हैं। कहा कि हमारी हमेशा कोशिश रही है कि हकदार को टिकट मिलना चाहिए।
इन्हीं सवालों के जवाब में देवेंद्र यादव ने हरक सिंह रावत पर कहा कि वह खुद चाहते थे कि उनका उपयोग पूरे प्रदेश में किया जाए। लिहाजा पार्टी ने अनुकृति को प्रत्याशी बनाया। अनुकृति युवा और पढ़ी लिखी कैंडिडेट हैं। मैं समझता हूं कि वह फ्यूचर में एक अच्छे नेतृत्व को रूप में उभर कर सामने आएंगी। साथ ही कहा कि हरक सिंह भी एक टिकट चाहते थे, तो हमने एक को ही दिया।