garhwali kavita
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गढ़वाली
वा (गढ़वाली कविता)
वा बंण म घास कटदअर बंण हौर हैरो ह्वे जांद वींका आंख्यूं आंसू ब्वगद अर समोदर हौर गैरो ह्वे जांदवा…
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गढ़वाली
बता दियां भारै मिथै भी?
• केशव डुबर्याळ “मैती“मुंड मलासणौ,सबी तैयार छन,पर कै थै असप्ताळम,मुंडरा गोळी भी मील होली,बता दियां भारे मिथै भी?वन त समाजसेवी,बिंडी…
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