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सिर्फ भारत के पास है मां गंगा जैसी विरासत का वरदान : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने पत्नी और बेटी के साथ परमार्थ निकेतन गंगातट पर की आरती

• राज्यपाल गुरमीत सिंह , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सांसद तीरथ सिंह रावत, स्वामी चिदानंद भी रहे मौजूद

ऋषिकेश (शिखर हिमालय)। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद और भारत की पहली महिला सविता कोविंद बेटी स्वाति के साथ परमार्थ निकेतन गंगातट पर सांध्यकालीन आरती में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मां गंगा के बिना भारत अधूरा है। यह वरदान सिर्फ भारत को ही मिला है कि उसके पास गंगा जैसी पवित्र विरासत है।

परमार्थ निकेतन पहुंचने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनके परिवार को वेदमंत्रोच्चार के साथ दि अभिनंदन किया गया। इसके बाद उन्होंने सांध्यकालीन गंगा आरती की। इस अवसर पर राष्ट्रपति कोविद ने कहा कि मां गंगातट पर आरती में शामिल होना भावविभोर और हृदय को स्पर्श करने वाले क्षण है। मेरी वर्षो से अधूरी इच्छा आज पूरी हुई।

महामहिम ने कहा कि मां गंगा ने अपना चरित्र नहीं छोड़ा उसका जो नाम था वह प्रारम्भ से बीच में और अंत वही रहा। यही मां गंगा की सार्थकता है। गंगा और भारत दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। कहा कि जब हम स्विट्जरलैंड में वहां की राष्ट्रपति से मिले तो उन्होंने मुझे एक ही सवाल किया कि स्विट्जरलैंड में हमारे पास पर्याप्त धन-समृद्धि है, इंडिया में क्या बात है कि आप के यहां शांति है हमारे यहां अशांति है। जिसपर मेरा जवाब था कि हमारे यहां आध्यात्मिकता सबसे श्रेष्ठ है।

इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बताया कि वर्ष 1953-54 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अभिनंदन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वर्ष 2019 प्रयागराज कुम्भ मेला में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिनन्दन और सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।

इसबीच उनकी राष्ट्रपति से आश्रम द्वारा संचालित विभिन्न सेवा कार्यो पर चर्चा हुई। इस दौरान स्वामी चिदानंद ने महामहिम राष्ट्रपति के जीवन की अविश्वसनीय जीवन यात्रा, राष्ट्र की सेवा के लिए उनकी प्रतिबद्धता और उनके अद्भुत नेतृत्व के साथ कुंभ मेला प्रयागराज यात्रा की स्मृतियों को ताजा किया।

कार्यक्रम के दौरान ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अंतर्राष्ट्रीय महासचिव डॉ. साध्वी भगवती जी ने कहा कि भारत का शानदार नेतृत्व वास्तव में ऐतिहासिक है। ऐसे व्यक्तित्व की दूरदृष्टि, मिशन और प्रतिबद्धता को प्रमाण है, जिसे अपनी युवावस्था में स्कूल जाने के लिए प्रतिदिन 8 किमी पैदल चलना पड़ता था। आज वह समर्पित युवक हर जाति, धर्म, रंग और सम्प्रदाय के लोगों के लिए न्याय, समानता और अखंडता के पथ प्रदर्शक के रूप में भारत का नेतृत्व कर रहा है। उनका नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील के रूप में, बिहार के राज्यपाल और भारत के राष्ट्रपति के रूप में, सभी के कल्याण के लिए समर्पण में निहित है सर्व भूत हिते रताः उनके जीवन का परम उद्देश्य है और यही परमार्थ निकेतन का आदर्श वाक्य, मंत्र और मिशन भी है।

इस अवसर पर स्वामी चिदानंद ने उन्हें पवित्र रुद्राक्ष का पौधा और इलायची की माला प्रदान की। पवित्र गंगा में दीप प्रवाहित करने के बाद राष्ट्रगान के साथ गंगा आरती समारोह का समापन हुआ।

समारोह में राज्यपाल राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सांसद तीरथ सिंह रावत और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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