उत्तराखंड

किसान मोर्चा के महापड़ाव में किसान महासभा भी होगी शामिल

लालकुआं। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश के सभी राज्यों की राजधानियों में राजभवन के सामने 26 से 28 नवंबर तक प्रस्तावित महापड़ाव को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा की जिला इकाई की दीपक बोस भवन बिंदुखत्ता में आयोजित की गई।

बैठक में किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि मोदी सरकार भारतीय और विदेशी कंपनियों को कृषि और ग्रामीण व्यापार को नियंत्रित करने, महंगे इनपुट बेचने, औने-पौने दाम पर सब फसल खरीदने, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने और खाद्य बाजार पर एकाधिकार जमाने में मदद करने वाली कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों को जारी रखे हुए है। जिससे किसान गहरे संकट में हैं।

उन्होंने कहा कि एसकेएम की मांगें जायज़ हैं। ग्रामीण संकट भारत की 69 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करता है। सरकार द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक की कीमतें 50 प्रतिशत तक बढ़ा दी हैं, यूरिया की आधिकारिक कीमत 270 रुपये प्रति 45 किलोग्राम से दोगुनी कीमत पर खुलेआम कालाबाजारी की जा रही है। भाजपा सरकार किसानों को लागत के लिए कोई सहायता नहीं देती है।

किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि भारत आज 125 देशों में से 111वें स्थान पर है। हर साल स्थिति खराब हो रही है। कृषि उत्पादन और खरीद में सुधार से ही इसे ठीक किया जा सकता है। किसान महासभा और संयुक्त किसान मोर्चा किसानों और लोकतांत्रिक ताकतों से अपील करता है कि वे इन महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए राज्य की राजधानी देहरादून में महापड़ाव में शामिल हों।

भाकपा माले के जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय ने भी पार्टी की ओर से समर्थन देने की घोषणा की। बैठक में ललित मटियाली, विमला रौथाण, आनंद सिंह सिजवाली, पुष्कर सिंह दुबड़िया, धीरज कुमार, नैन सिंह कोरंगा, हरीश भंडारी, निर्मला शाही, आनंद सिंह दानू, महेन्द्र पाल मौर्य आदि शामिल रहे।

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