अंतर्मनः बाबा केदार के धाम में आंखें बंद कर कीजिए महसूस…
Kedarnath : केदारनाथ घाटी का नैसर्गिक सौंदर्य विलक्षण है। कितनी भी तपन हो, तपिश हो अगर आप इस घाटी की गोद में आ जाते हैं तो मन शांत हो उठता है। केदार बाबा के मंदिर के चारों ओर बर्फ ही बर्फ है। यूं लगता है जैसे पर्वत-शृंखलाओं ने बर्फ़ की धूप के संग पीताम्बरी चादर ओढ़ ली हो। धीरे से आंखें बंद कीजिए और महसूस कीजिए प्रकृति के उस नाद को जो कहीं अंतस में हमारे गहरा बैठा है। फिर चाहे वह ब्रह्मनाद हो या आध्यात्म-चेतना का नाद, इसके स्पंदन से प्राणीमात्र स्वतः ही परमात्मा की भक्ति में लीन हो जाता है।
पांडवों ने मुक्ति पाने के लिए यहां शिव की तपस्या की। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर पांडवों को दर्शन दिए, तब से केदारनाथ में शिव, शिला रूप में ही विराजमान हैं। मंदिर की भव्यता व दिव्यता देखते ही बनती है। केदारनाथ का निर्माण कत्यूरी निर्माण शैली का माना जाता है। कहा जाता है कि मूल मंदिर का निर्माण आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा किया गया था।
पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार यह भी माना जाता है कि केदारनाथ में ही भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन दिए थे। इससे स्पष्ट होता है कि पांडवों के द्वारा ही केदारनाथ में भगवान शिव का मंदिर बनाया गया होगा। कुछ विद्वानों का मत है कि शंकराचार्य ने केवल मंदिर का जीर्णोद्धार किया था। गर्भगृह में शृंगार मूर्ति केदारनाथ पंचमुखी है, जो सुंदर वस्त्रों व आभूषणों से सुसज्जित रहती है।
शिव के शरीर में ऊर्जा- ताप है, इसलिए उनका तप करके सांसारिक आदि- व्याधियों से मुक्ति मिल सकती है। सबका कल्याण हो, भोलेनाथ समस्त प्राणी जगत पर कृपा करें। आइए आप और हम समस्त भारतवासी प्रेम और श्रद्धा के साथ बाबा केदार के दर्शन के साक्षी बने।
– प्रबोध उनियाल (साहित्यकार, पत्रकार)