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उत्तराखंड की सियासत में दो किरदार अनूठे ही नहीं, काबिल-ए-गौर भी हैं। दोनों कदावर और चर्चित भी हैं। खुद को चर्चाओं में जिंदा रखने का फन उन्हें खूब आता है। उनके बीच का सियासी दंगल कभी मनोरंजक तो कभी-कभी रहस्यमयी भी लगता है। इनदिनों दोनों ही फिर से आमने सामने हैं। इसका कारण बना है एक ट्वीट।
बिलकुल, हम भी पूर्व सीएम हरीश रावत और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह की ही बात कर रहे हैं। हरदा ने कल पीएम नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे को लेकर अपने आलोचनात्मक ट्वीट में ‘हनक सिंह’ शब्द को क्या दोहराया, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत हरदा की नाकामियों के दुख से घिर गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दरअसल, एम्स हेलीपैड पर मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने संभवतः हरक सिंह रावत को ‘हनक सिंह’ नाम से संबोधित किया। बस हरदा ने मौका नहीं चूका और ‘हनक सिंह’ शब्द को ट्वीट में दोहरा दिया। प्रतिक्रिया में हरक सिंह कहां पीछे रहते। उनका एक तंज भरा वीडियो तुरत आ गया। जिसमें वह हरदा के लिए बेहद परेशान हैं।
वीडियो में बकौल हरक सिंह 2017 में हरदा के दोनों सीटों से हारने पर आश्चर्य चकित हूं। इस दुख से उभर भी नहीं पा रहा हूं कि आखिर राजनीति का इतना माहिर खिलाड़ी दो-दो सीटों पर कैसे हार गया। जबकि धारचूला से आदिवासी गगन रजवार तक दो-दो बार जीत गया।
जो व्यक्ति प्रधानमंत्री के कामों पर उंगली उठा सकता हो, वह बड़ी हैसियत तो है ही। हरीश भाई ने सेवादल, कृषि मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय तक को पचा लिया। असम के प्रभारी बने तो कांग्रेस को इतना मजबूत किया कि बीजेपी की सरकार बन गई। पंजाब भेजा तो कमाल दिखाया। कांग्रेस को ही समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिर भी बड़ा भाई दोनों सीटों से हार गया।
मीडिया ने उनके दुख का कारण पूछा तो बोले बड़े भाई को ट्वीट करने की इतनी जल्दबाजी क्या थी? जिस रूप में सही प्रधानमंत्री ने उनके छोटे भाई को पूछा तो। उन्हें अच्छा लगना चाहिए था। हरीश भाई का दिल इतना छोटा कैसे हो गया?
बोले- हरीश भाई भले दोनों सीटों की हार के दुख से उभर गए हों, लेकिन मैं तो नहीं उभर पाया हूं। मेरे तो अब तक गले ही नहीं उतर रहा कि हरीश भाई कैसे हार गए?