जीएमवीएन टूरिस्ट ऑफिस शिफ्टिंगः लोग भी विरोध में उतरने को तैयार
ऋषिकेश (भगवान सिंह रावत की रिपोर्ट)। गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के ऋषिकेश स्थित यात्रा कार्यालय को देहादून शिफ्ट करने की आशंका को लेकर जहां निगम कर्मचारी आंदोलित हैं, वहीं पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग भी इसके विरोध मे आने लगे हैं। उनका मानना है कि निगम प्रबंधन का यह फैसला पूरी तरह से अविवेकपूर्ण है। जिससे निगम को लाभ की बजाए नुकसान ही उठाना पड़ेगा। ऐसे में स्थानीय लोग भी इस निर्णय के विरोध का मन बना चुके हैं।
बताया जा रहा है कि निगम प्रबंधन दूसरी बार ऋषिकेश स्थित यात्रा कार्यालय को देहरादून शिफ्ट करने की योजना बना चुका है। इससे पूर्व यात्रा कार्यालय को सन् 2000 में यात्रा कार्यालय को मुनिकीरेती से शैलविहार ऋषिकेश शिफ्ट किया गया था। जिससे निगम को खासा नुकसान उठाना पड़ा। यहां तक कि निगम का एकल प्रभाव वाला राफ्टिंग कारोबार भी हाशिए पर चला गया। जो कि वर्तमान में 350 से अधिक निजी व्यवसायियों के हाथों में जबरदस्त लाभ के साथ जारी है।
इस प्रकरण पर निगम कार्मिकों और पर्यटन कारोबारियों का मानना है कि निगम प्रबंधन का यह निर्णय अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। पर्यटन, योग, साहसिक, फारेस्ट, वन्यजीव और आध्यात्मिक पर्यटन वाले इस क्षेत्र से यात्रा कार्यालय को दूर करना नुकसानदेह साबित होगा।
निगम के अड़ियल रवैये के चलते कर्मचारियों के बाद अब स्थानीय लोग भी विरोध में उतरने का मन बना चुके हैं। निगम कर्मचारी संगठन का कहना है कि वह पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से इस विषय में वार्ता करेगा। जिसमें उनसे जीएमवीएन के विकासशील भविष्य के लिए पर्यटन गतिविधियों को ऋषिकेश से ही संचालित करने का अनुरोध किया जाएगा। इसके बाद आंदोलन का रास्ता खुला हुआ है।
जीएमवीएन का इतिहास
1976 में गढ़वाल मंडल विकास निगम को स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराकर आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। ताकि पहाड़ों को विकसित कर पलायन को रोका जा सके। 1973 में यह पर्वतीय विकास निगम के नाम से कार्यशील थी। जिसे गढ़वाल और कुमाऊं अलग-अलग कमिश्नरी में जनसुविधा के लिए गढवाल और कुमाऊं मंडल विकास निगम के नाम से विभाजित किया गया। जीएमवीएन का मुख्यालय देहरादून और केएमवीएन का नैनीताल बनाया गया।
उत्तराखंड में पर्यटन की संभावनाओं के मद्देनजर पर्यटन के तत्कालीन जानकारों ने मुनिकीरेती में जीएमवीएन का यात्रा कार्यालय स्थापित किया गया। संसाधनों के अभाव के बावजूद निगम कार्मिकों के अथक परिश्रम से विश्व के पर्यटन मानचित्र पर उत्तराखंड उभरा और आकर्षण का केंद्र बना। नजीजा, इससे साहसिक, आध्यात्मिक और मनोरंजक पर्यटन को पहचान मिलने के साथ ही लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष इसका लाभ मिला।
वर्ष 2018 में निगम द्वारा यात्रा कार्यालय के आवास आरक्षण पटल को देहरादून शिफ्ट किया गया था। भारी आर्थिक और साख को नुकसान पहुंचने के बाद तत्कालीन प्रबंधन ने आननफानन में इस निर्णय को बदला। उसके बाद बिना आदेश के ही आरक्षण पटल को वापस ऋषिकेश लाया गया।