उत्तराखंडएजुकेशन

संगीत समारोह में बिखरी शास्त्रीय और लोकगीतों की स्वर लहरियां

दून में दो दिवसीय उत्तराखंड राज्यस्तरीय संगीत प्रतिभा सम्मान समारोह शुरू

देहरादून। एससीईआरटी की ओर से नगर निगम के टाउनहाल में दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगीत प्रतिभा सम्मान समारोह का विधिवत शुभारंभ हो गया। पहले दिन राज्यभर से आए शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्र-छात्राओं ने शास्त्रीय रागों पर आधारित गीतों के साथ ही उत्तराखंड की लोक परंपराओं में मौजूद सदाबहार गीतों की स्वर लहरियां बिखेरी।

बुधवार को नगर निगम टाउनहाल में समारोह का शुभारंभ कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी और आरजे काव्य ने किया। डॉ. रावत ने कहा कि उन्होंने कहा कि संगीत मन और आत्मा की शांति प्रदान करता है, छात्रों को भी इस विद्या से अवश्य जुड़ना चाहिए। इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति पर भी चर्चा की।

विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने कहा कि एक रंगकर्मी के तौर पर उनके करियर की शुरूआत इसी टाउनहॉल से हुई थी। कहा कि प्रतियोगिता में जो भाग लेता है वह विजेता होता है। प्रथम, द्वितीय आना तो मात्र एक घटना और संयोग होता है। दूसरे विशिष्टि अतिथि आरजे काव्य (कवीन्द्र सिंह मेहता) ने कहा कि कला के क्षेत्र का हुनर भी एक तरह की शिक्षा ही है। उन्होंने गिर्दा का लिखा गीत ‘उत्तराखण्ड मेरी मातृभूमि, मेरी पितृभूमि’ गीत भी सुनाया।

एससीईआरटी के विभागाध्यक्ष प्रदीप रावत ने समारोह का उद्देश्य शिक्षकों व विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शन के लिए मंच प्रदान करना है, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। इससे पूर्व निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने कहा कि बीते तीन सालों से जारी इस कार्यक्रम में इसबार बच्चों को भी जोड़ा गया है। अपर निदेशक डॉ. आरडी शर्मा ने सभी का आभार ज्ञापित किया।

समारोह के पहले दिन शास्त्रीय गायन में शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। राइका भरैसा, भीमताल के शिक्षक डॉ. हरीश जोशी ने राग मेघ मल्हार ‘गरजे घटा घन, आई बरखा झूम-झूम के, पवन चलत सनन सनन सन’ गाया। राइका हल्द्वानी की शिक्षिका डिम्पल जोशी ने भिटौली ‘चैतू कू म्हेण ए रे, भिटुली की आश है रे, आई गै तो ऋतु रैण रे, आई गै छो चैत मैणा रे।’ सुनाया।
राइका रुद्रप्रयाग की शोभा डोभाल ने राग विहाग में ”क्यों तुम रुठ गये मनमोहन, कौन सी भूल भई है मोसे“, एमकेपी की शिक्षिका सीमा रस्तोगी ने राग विलास खाली तोड़ी में ”हमें ना सिखाओ ये ज्ञान“ से मंत्रमुग्ध किया।

वहीं, राबाइका कनालीछीना की हर्षिता पुनेठा ने राग शुद्ध सारंग, राइका जयहरीखाल के शिक्षक दिनेश चन्द्र पाठक ने राग कल्याण में छोटा खयाल गाया। अटल उत्कृष्ट राइका चम्पावत की लीला तिवारी ने राग भोपाली ‘नमन कर चतुर। श्री गुरु चरण जोई-जोई ध्यावत, शुभफल पावत’। कंचन मल्होत्रा ने ”करम करने मोये साई, तुम बिन और दूजा नाहीं“ गाया। राइका देवाल के हिमांशु पंत ने राग हमीर में छोटा ख्याल ”नमन करूं में गुरु चरणा, भवभय हरणा, वंदित चरणा। मीनाक्षी उप्रेती, राआबाइका रानीखेत, अल्मोड़ा ने राग मियां मल्हार/ध्रुपद “चमकत घन श्याम बीच, चमक तीज रीझ रीझ“। सविता जोशी राइका बागेश्वर ने राग वृन्दावनी सारंग में ”मधुर धुन बाजी, बाजे रे कित“। ललित मोहन जोशी, रागांनवि खटीमा ने राग भैरवी में जागो मोहन प्यारे-प्यारे सांवर सूरति….“ की बेहतरीन प्रस्तुति दी।

समारोह के दूसरे सत्र में लोकगायन की प्रस्तुतियां हुई। डॉ. ज्ञान सागर राउमावि कनपोलाखाल टिहरी गढ़वाल ने संस्कार गीत- ”दैणा होयां खोली का गणेशा देणा होया मोरी का नारैणा… गाया। धर्मेन्द्र सिंह चौहान, राउमावि आन्तरखोली थलीसैंण, पौड़ी ने थड्या चौंफला गीत ”को होलो धौलिका का किनारा घुंघरू यात्रा ज्वोंगो वालू बैख“। पुष्पा कनवासी राबाइका नारायणबगड़ ने नंदा गीत ”कै देव चढ़ोला, मासी को धूप, द्यो थान एग्ये। जै नंदा भवानी, माझी को धप इसे बान ऐग्यै।“ मुकेश चन्द्र नौटियाल राआइका चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी ने आह्वान गीत ”जै बदरी केदारनाथ, गंगोत्री जै-जै, यमनोत्री जै-जै’’ गीत के सुर बिखेरे।

वहीं मनोज थापा राइका रुद्रप्रयाग ने राधाखण्डी शैली में ‘‘जैन रची सकल संसार…. गाया’’। कालिका प्रसाद सेमवाल, राइका बद्रीपुर देहरादून ने ‘‘सात समुन्दर पार च जाण ब्वे’’ गाया। डॉ. रमा खर्कवाल भट्ट, राबाइका पिथौरागढ़ ने यज्ञोपवीत में गाया जाने वाला गीत- ‘‘बोल सगुन दे भला-भला दिन….’’ गाया। दीवान सिंह कोश्यारी, राइका चेताबगड़, बागेश्वर द्वारा चांचरी में गायन किया। नारायण कुमार, राउमावि पंतकवाली, बागेश्वर ने ‘‘रूम झूमा बरखा लागी…’’ गीत गाया। मिताली भट्ट, राइका काकड़, चंपावत ने ‘दैणा हवे जाये खोली का गणेश’ और अंकित पांडे, राइका किच्छा, उधमसिंहनगर ने ‘छाजा में बैठी समधन पूछे…’ गीत गाया।

प्रतिभागियों मूल्यांकन सोनल वर्मा, डॉ. विजय गोडबोले और डॉ. राकेश भट्ट ने किया। जबकि तबले पर विक्रम सिंह, राइका कंडारा, पौड़ी और ढोलक पर संस्कृति विभाग के मोहित पंत ने संगत की। कार्यक्रम में सीमैट से दिनेश चन्द्र गौड़, अपर निदेशक आकाश सारस्वत, उप निदेशक राकेश जुगरान, आशारानी पैन्यूली, राय सिंह रावत, हिमानी बिष्ट, शैलेन्द्र अमोली, अनीता द्विवेदी, सोहन सिंह नेगी, डॉ. शक्ति प्रसाद सेमल्टी, डॉ. संजीव चेतन, गंगा घुघत्याल, डॉ. शिवानी चन्देल, देवराज राणा, दिनेश चन्द्र चौहान, डॉ. बिन्दु नौटियाल, रविदर्शन तोपाल, शुभ्रा सिंघल, मनोज किशोर बहुगुणा, सुनीता उनियाल, राज कुमार, बृजेश शाह, डॉ. एनके हटवाल, अंबरीश बिष्ट, मौजूद रहे।

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